ईरान और इजराइल के बीच युद्ध जैसे हालात के बीच भारत के लिए टेंशन

इजराइल और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है.दुनिया विश्व युद्ध जैसी स्थिति का सामना कर रही है. ईरान और इजराइल के बीच युद्ध जैसे हालात के बीच भारत समेत कई देशों की चिंता बढ़ गई है. भारत का इसलिए क्योंकि अगर ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को अवरुद्ध कर दिया तो भारत के लिए कच्चे तेल का आयात करना मुश्किल हो जाएगा. तेल और एल.एन.जी कीमतें काफी बढ़ सकती हैं.

बता दे कि ईरान-इजराइल संघर्ष पर विश्लेषकों का कहना है कि अगर ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को अवरुद्ध किया तो कच्चे तेल और एलएनजी की कीमतें बढ़ सकती हैं। इस जलडमरूमध्य से भारत जैसे देश सऊदी अरब, इराक और यूएई से कच्चा तेल आयात करते हैं। ईरान और इज़राइल के बीच हालिया तनाव पहला चरण 1 अप्रैल को शुरू हुआ जब इज़रायली सेना सीरिया में ईरानी दूतावास में धमाका. इस हमले में ईरान टॉप कमांडर समेत 13 लोग मारे गए. इसके बाद ईरान ने इजरायली धरती पर जवाबी कार्रवाई की 300 से ज्यादा ड्रोन और मिसाइलें छोड़ीं.अमेरिका, ब्रिटेन और इजरायल के सुरक्षा कवच आयरन जानकी मदद से 99 फीसदी हमले नाकाम कर दिए गए। जवाब में इजरायल ने भी गुरुवार रात ईरान में धमाके किए. हालांकि इस हमले की जिम्मेदारी न ही इजरायल ने ली है और न ही ईरान ने खुद पर हमला होने की बात कबूली है.

प्राप्त जानकारी के अनुसार आपको बता दे की इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष के बाद कच्चे तेल की कीमतें 90 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गईं. मम्मोतिलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने कहा कि हालांकि तनाव कम करने के प्रयासों से संकट को नियंत्रण में लाने की संभावना है, लेकिन अगर ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को अवरुद्ध कर दिया तो तेल और एलएनजी की कीमतें तेजी से बढ़ेंगी.

आपको बता दे की होर्मुज जलडमरूमध्य ओमान और ईरान के बीच लगभग 40 किलोमीटर चौड़ी एक समुद्री पट्टी है। इस रास्ते से सऊदी अरब (63 लाख बैरल प्रति दिन), यूएई, कुवैत, कतर, इराक (33 लाख बैरल प्रति दिन) और ईरान (13 लाख बैरल प्रति दिन) कच्चे तेल का निर्यात करते हैं. वैश्विक एलएनजी व्यापार का लगभग 20 प्रतिशत यहीं से होकर गुजरता है. इसमें कतर और यूएई से लगभग सभी एलएनजी निर्यात शामिल हैं. मोतीलाल ओसवाल ने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के लिए कोई वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध नहीं है। भारत सऊदी अरब, इराक और यूएई से तेल के साथ ही एलएनजी का आयात इसी मार्ग से करना है.

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