भारत के खिलाफ चीनी राजदूत के बयान का नेपाल में हो रहा चौतरफा विरोध

नेपाल में चीन के राजदूत चेन सोंग ने नेपाल और भारत के रिश्ते एवं नेपाल की आर्थिक स्थिति को लेकर आपत्तिजनक बयान दिया है। काठमांडू में फेडरेशन ऑफ ट्रांस हिमालयन रिसर्च नामक संस्था द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने भारत नेपाल संबंधों पर ऐसी टिप्पणी की जो ना सिर्फ राजनयिक गरिमा के खिलाफ है बल्कि नेपाल और भारत के बीच संबंधों को लेकर आपत्तिजनक भी है।

 

राजदूत सोंग ने भाषण की शुरुआत में ही कहा कि भारत जैसा पड़ोसी होना नेपाल के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। भारत की आर्थिक नीति और पड़ोस नीति पर भी चीन के राजदूत की टिप्पणी बेहद ही आपत्तिजनक है। अपने सम्बोधन में चीनी राजदूत ने कहा कि भारत आर्थिक रूप से सबल और सक्षम हो रहा है यह भ्रम पूरी दुनिया में फैलाया जा रहा है। जबकि सच्चाई यह है कि भारत किसी रूप से आर्थिक वृद्धि नहीं कर रहा है। चीन और भारत के आर्थिक स्थिति की कोई तुलना ही नहीं हो सकती है।

 

चीनी राजदूत ने कहा कि जब भारत की खुद की आर्थिक स्थिति खराब है तो वह नेपाल के अर्थतंत्र को कैसे सहयोग कर सकता है? चेन सोंग ने कहा कि नेपाल को भारत पर अपनी निर्भरता को खत्म कर चीन के साथ आर्थिक कारोबार करना चाहिए। नेपाल भारत के बीच बिजली खरीद-बिक्री का उदाहरण देते हुए चीनी राजदूत ने कहा कि नेपाल भारत को हर महीने 10 मिलियन रुपये का बिजली बेचता है और भारत से 19 मिलियन रुपये का बिजली खरीदता है तो कैसे व्यापार घाटा को कम किया जा सकता है।

 

चीनी राजदूत के बिगडे बोल यहीं नहीं रूके। उन्होंने कहा कि भारत की अपने पड़ोसी देशों के लिए जो नीति है उसके कारण कभी भी कोई पड़ोसी देश आर्थिक वृद्धि नहीं कर सकता है। उनका कहना है कि नेपाल को चीन की अर्थव्यवस्था से कुछ सीखना चाहिए। चीन का भविष्य बहुत उज्ज्वल है। उन्होंने कहा कि चीन नेपाल जैसे बहुत कम विकसित देशों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद कर रहा है। चीनी राजदूत ने नेपाल को सुझाव दिया कि नेपाल की आर्थिक नीति पर पुनर्विचार करते हुए भारत के साथ अपनी नीति में परिवर्तन करना चाहिए। उन्होंने नेपाल को भारत के भ्रमपूर्ण अर्थ व्यवस्था के बदले चीनी अर्थव्यवस्था की संरचना से सीखने की सलाह भी दी है।

 

चीनी राजदूत ते इस आपत्तिजनक बयान का नेपाल में चौतरफा विरोध हो रहा है। कुछ नेपाली राजनयिकों ने कहा कि नेपाल और भारत के संबंधों पर चीनी राजदूत द्वारा की गई टिप्पणियां आपत्तिजनक हैं। भारत में नेपाल के पूर्व राजदूत दीप कुमार उपाध्याय ने कहा, ”नेपाल और भारत के ऐतिहासिक संबंधों पर चीनी राजदूत की टिप्पणी अस्वीकार्य है। अंतरराष्ट्रीय मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष राजकिशोर यादव ने कहा कि किसी भी देश के राजदूत को किसी तीसरे देश के साथ हमारे संबंधों को लेकर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। चीनी राजदूत का बयान कूटनीतिक मान्यताओं के विपरीत है और यह निंदनीय है।

 

पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा के विदेश मामलों के सलाहकार रहे अरुण सुवेदी ने नेपाल भारत के संबंध पर चीनी राजदूत की टिप्पणी को कूटनीतिक मर्यादा का घोर उल्लंघन बताते हुए उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। सुवेदी ने कहा कि यदि इस प्रकार की टिप्पणी अमेरिका या यूरोप के किसी देश में किसी राजदूत ने की होती तो उसे तत्काल वापस भेज दिया जाता।

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