रूस के लगातार यूक्रेन पर घातक हमले के कारण यूक्रेन में तबाही का मंजर फैला हुआ है

रूस और यूक्रेन के बीच लगभग बीते दो वर्षों से कुछ भी सही नहीं चल रहा है। दोनों के बिच जंग जारी है। रूस लगातार यूक्रेन पर हमले करता जा रहा है। इस बीच रूस की तरफ से किए गए ताजा मिसाइल और ड्रोन हमले में यूक्रेन के सबसे बड़े ऊर्जा संयंत्रों में से एक बर्बाद हो गया है। इन हमले से कुछ इमारतों को भी काफी नुकसान हुआ है। रूस ने ऊर्जा संयंत्रों को निशाना बनाकर हमला करने के लिए एक अभियान शुरू किया है, जिसके तहत यह कार्रवाई की गई है। अधिकारियों ने बताया कि कीव, चर्कासी और जाइटॉमिर क्षेत्रों को बिजली की आपूर्ति करने वाले सबसे बड़े ऊर्जा संयंत्र ट्रिपिल्स्का पर कई बार हमला किया गया, जिससे ट्रांसफार्मर और जनरेटर खराब हो गए और संयंत्र में भी आग लग गई।

रूस लगातार यूक्रेन पर कर रहा है अटैक

इससे पहले रूस ने यूक्रेन के एक गांव पर बुधवार को खतरनाक मिसाइल हमला किया था। इस हमले में राशन की दुकान और एक दवा की दुकान नस्ट हो गई थी, साथ ही 14 साल की एक किशोरी सहित तीन लोगों की मृत्यु भी हो गई थी। उत्तर पूर्वी खारकीव क्षेत्र के अधिकारियों ने बताया था कि रूस की सीमा से करीब 10 किलोमीटर दूर यूक्रेन के लिपत्सी पर यह हमला किया गया था।

यूक्रेन ने जापोरिज्जिया न्यूक्लियर प्लांट पर ड्रोन से हमला

रूस की तरफ से यह हमला ऐसे समय पर किया गया है जब हाल ही में यूक्रेन ने जापोरिज्जिया न्यूक्लियर प्लांट पर ड्रोन से हमला किया था। न्यूक्लियर प्लांट पर हुए हमले को अंतरराष्ट्रीय एटॉमिक एनर्जी एजेंसी ने भी घातक बताया था। IAEA की तरफ से कहा गया था कि न्यूक्लियर प्लांट के पास ड्रोन हमला खतरनाक है। IAEA ने बयान जारी कर ड्रोन हमलों की पुष्टि की थी। IAEA ने कहा था कि हमले में हुए नुकसान के कारण परमाणु सुरक्षा को खतरा पैदा नहीं हुआ, लेकिन यह एक बहुत ही गंभीर घटना है।

यूक्रेन में सैनिकों की कमी

बता दें कि, रूस के साथ जंग लड़ रहे यूक्रेन के हजारों सैनिक अब तक मारे जा चुके हैं। ऐसे में हथियारों के साथ अब यूक्रेन में सैनिकों की कमी पाई गई है। सैनिकों की कमी को पूरा करने के लिए यूक्रेन की संसद ने सेना में नए रंगरूट की अनिवार्य भर्ती के तौर-तरीकों को तय करने संबंधी एक विवादास्पद कानून को मंजूरी दी है। नए कानून के मसौदे पर यूक्रेन को लोगों की दिलचस्पी देखने को नहीं मिली है। यह कानून ऐसे समय में पारित हुआ है जब यूक्रेन जंग में होने की वजह से भारी नुकसान झेल चुका है और फिलहाल लड़ाई थमने के आसार भी नजर नहीं आ रहे हैं।

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