सेहत के लिए नुकसानदायक है ज्यादा काढ़े का सेवन

वर्तमान समय में तनावपूर्ण ज़िन्दगी से बचने के लिए काढ़े का इस्तेमाल करने को कहा जाता है कि काढ़ा न सिर्फ इम्‍यूनिटी बढ़ाता है बल्कि कई तरह से स्वस्थ रखने में मदद भी करता है लेकिन इसके ज्यादा सेवन से साइड इफेक्ट हो सकता है। ऐसे में दिन में कितनी बार और कितनी मात्रा में काढ़ा पीना चाहिए, इस सवाल का जवाब जानना जरूरी हो जाता है।

एक दिन में कितना काढ़ा ?

विशेषज्ञों का कहना है कि काढ़े की मात्रा की निर्भरता आयुर्वेदिक शरीर के हिसाब से होती है। आयुर्वेद में शरीर को तीन तरह का माना गया है- वात, पित्त और कफ। उसके मुताबिक हमारा शरीर इन तीनों में से किसी एक प्रवृत्ति का होता है। इसका अध्ययन कर उसकी बनावट, दोष, मानसिक अवस्था और स्वभाव का पता लगाया जा सकता है।

ज्यादा काढ़ा के साइड इफेक्ट्स

काढ़ा बनाने के लिए इस्तेमाल किए गए घटक शरीर में गर्मी पैदा करते हैं। हो सकता है शरीर को इससे कुछ खास समस्याएं भी हों। रोजाना इस्तेमाल करने पर अगर आपको कोई लक्षण नजर आ रहा है तो समझिए आप इसका ज्यादा मात्रा में सेवन कर रहे हैं। आपको नाक से खून बहना, पेशाब आने में दिक्कत, मुंह में फोड़ा, खट्टी डकार और बहुत ज्यादा पेट की गैस की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

काढ़े की मात्रा क्या हो?

काढ़ा इस्तेमाल करनेवालों को मात्रा पर ध्यान देना चाहिए। 50 मिलीलीटर से ज्यादा काढ़े का सेवन नहीं करना चाहिए। 100 मिलीलीटर पानी में काढ़ा के घटकों को उबलने के लिए छोड़ दें। इस तरह जब घटकर 50 मिलीलीटर हो जाए तो उसका सेवन किया जा सकता है।

किन बातों का रखें ध्यान-

काढ़ा बनाने के लिए आप कुछ चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं, उनकी मात्रा में हमेशा अच्छा संतुलन रखें। अगर काढ़ा पीने से आपको कोई परेशानी हो रही है तो उसमें दालचीनी, काली मिर्च,अश्वगंधा और सोंठ की मात्रा कम ही रखें।
सर्दी, जुकाम के लिए काढ़ा काफी फायेदमंद माना जाता है, ऐसे में इसमें बड़ी सतर्कता बरतनी चाहिए। खासतौर से उन लोगों को ध्यान रखना चाहिए जिन्हें पित्त की शिकायत होती है। अगर आप इन लोगों को काढ़े में काली मिर्च,सोंठ, दालचीनी का इस्तेमाल करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए।
अगर आप हर दिन काढ़ा पीते हैं तो उसे कम मात्रा में लें अगर आप ज्यादा लेंगे तो इससे आपका स्वास्थ खराब होगा। काढ़ा बनाते वक्त बर्तन में सिर्फ 100 मिलीलीटर पानी डालें, फिर जरुरी चीजों को मिलाने के बाद उसे तब तक उबालें जब तक काढ़ा 50 मिलीलीटर यानि आधा ना हो जाए. जब वो आधा हो जाए तो उसे पीएं।

ये लोग ज्‍यादा रहें सावधान

काढ़े के सेवन से कफ ठीक हो जाता है। इसलिए कफ दोष से प्रभावित लोगों के लिए ये काढ़ा बहुत फायदेमंद है। लेकिन वात या पित्त से प्रभावित लोगों को आयुर्वेदिक काढ़ों को पीते समय विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ध्यान रखें कि गर्म तासीर वाली चीजें काढ़े में बहुत कम मात्रा में डालें। इसके बजाय ठंडी तासीर वाली चीजें डालें।