‘भाजपा को मिले 335 करोड़ रुपये के चंदे’ की न्यायालय की निगरानी में जांच हो: कांग्रेस

कांग्रेस ने शुक्रवार को सरकार पर जांच एजेंसियों के माध्यम से 30 कंपनियों को ”ब्लैकमेल करके” भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 335 करोड़ रुपये का चंदा दिलवाने का आरोप लगाया और कहा कि इस मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच होनी चाहिए तथा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को ‘श्वेत पत्र’ लाना चाहिए।

पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि ‘मोदी राज’ में भाजपा को दिया गया ‘अवैध चंदा’ और चुनावी बॉन्ड ही कारोबारी सुगमता की गारंटी है।पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने केंद्र पर ”हफ्ता वसूली सरकार” होने का आरोप लगाया और कहा कि इस मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच जरूरी है।

कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर सवाल किया कि क्या सरकार इस मामले पर ‘श्वेत पत्र’ लाने, बिंदुवार स्पष्टीकरण देने और उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच के लिए तैयार है?इस प्रकरण पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी या सरकार की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।राहुल गांधी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”क्या आपको प्रधानमंत्री की ‘चंदा दो, बेल और बिजनेस लो’ योजना के बारे में पता है? देश में प्रधानमंत्री ‘वसूली भाई’ की तरह ईडी, आयकर और सीबीआई का दुरुपयोग कर ‘चंदे का धंधा’ कर रहे हैं।”

उन्होंने कहा, ”खबरों में सामने आया है कि वसूली एजेंट बन चुकी एजेंसियों की जांच में फंसी 30 कंपनियों ने भाजपा को जांच के दौरान 335 करोड़ रू का चंदा दिया। चंदे का धंधा इतनी बेशर्मी से चल रहा है कि एक डिस्टिलरी के मालिकों ने बेल मिलते ही भाजपा को चंदा दिया। मित्र की कंपनी को बेईमानी से फायदा और बाकियों के लिए अलग कायदा?”राहुल गांधी ने आरोप लगाया, ”मोदी राज में भाजपा को दिया ‘अवैध चंदा’ और चुनावी बॉन्ड ही कारोबारी सुगमता की गारंटी है।जयराम रमेश ने संवाददाताओं से कहा, ”हफ्ता वसूली और ब्लैकमेल की राजनीति हो रही है।

ईडी, सीबीआई जैसी संस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है। निजी कंपनियों से चंदा लेने के लिए एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है।”उन्होंने दावा किया, ”वर्ष 2018 -19 से 2022-2023 में 30 कंपनियों से 335 करोड़ रुपये वसूले गए। यह हफ्ता वसूली है… यह ब्लैकमेल की राजनीति है।”रमेश ने आरोप लगाया कि यह ”हफ्ता वसूली सरकार” है।उनके मुताबिक, इन 30 कंपनियों में से 23 कंपनियों ने वर्ष 2018 से पहले भाजपा को कोई चंदा नहीं दिया था, लेकिन 2018 के बाद इन 23 कंपनियों ने सत्तारूढ़ पार्टी को करीब 188 करोड़ रुपये का चंदा दिया।

रमेश ने कहा, ”अगर किसी कंपनी ने कानून का उल्लंघन किया है तो कार्रवाई हो, लेकिन धमकी देकर चंदा वसूलना सही नहीं है।”वेणुगोपाल ने वित्त मंत्री को लिखकर ”भाजपा को 30 कंपनियों से मिले चंदे” का ब्यौरा दिया और कहा, ”क्या आप भाजपा के धन पर एक ‘श्वेत पत्र’ लाएंगी, न केवल स्रोतों पर, बल्कि इस पर भी कि आपने कॉर्पोरेट कंपनियों के ख़िलाफ़ जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके उन्हें चंदा देने के लिए कैसे मजबूर किया?”

उन्होंने कहा,”यदि आपके पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो क्या आप उन घटनाओं की ‘क्रोनोलॉजी’ पर बिंदुवार खंडन पेश करने को तैयार हैं, जिनके कारण भाजपा का खजाना भरा?”वेणुगोपाल ने पत्र में कहा, ”यदि आप तथ्यों के आधार पर स्पष्टीकरण देने को तैयार नहीं हैं, तो क्या आप भाजपा के लिए चंदा लूटने के इन संदिग्ध लेन-देन की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच के लिए खुद को पेश करने को तैयार हैं?”

उन्होंने कांग्रेस के आयकर रिटर्न से जुड़े मामले का हवाला देते हुए कहा, ”देश देख रहा है कि कैसे आप तुच्छ आरोपों के आधार पर कांग्रेस को आयकर नोटिस देकर और वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले राष्ट्रीयकृत बैंकों को हमसे पैसा वसूलने के लिए मजबूर करके लोकतंत्र को ख़त्म कर रही हैं। यह सारा पैसा भारत के लोगों द्वारा दिए गए छोटे-छोटे चंदे से आया है। ”वेणुगोपाल ने दावा किया कि यह और कुछ नहीं बल्कि चुनाव से ठीक पहले लोकतंत्र में मिलने वाले समान अवसर को खत्म करने की साज़िश है।