मशहूर कोलंबियाई चित्रकार और मूर्तिकार फर्नांडो बोटेरो का 91 वर्ष की आयु में शुक्रवार को मोनाको के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह अपनी विशिष्ट मूर्तिकला और पुष्ट आकृतियों वाले चित्रों के लिए जाने जाते हैं। उनकी मृत्यु से कला जगत में शून्य पैदा हो गया है। यह जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार उनकी मृत्यु की पुष्टि बोटेरो के करीबी दोस्त ह्यूस्टन में एक आर्ट गैलरी के सह-मालिक मौरिसियो वैलेजो ने की है। उन्होंने कहा कि इसका कारण निमोनिया की जटिलताएं रहीं। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने सबसे पहले सोशल मीडिया पर उनके निधन की सूचना साझा की।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बोटेरो ने मध्यमवर्गीय जीवन और बोर्डेलोस, मौलवियों और किसानों, फलों की उभरी हुई टोकरियां और हिंसा के प्रभावों को चित्रित किया। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति लियोनार्डो दा विंची की मोनालिसा को माना जाता है। 1932 में जन्मे बोटेरो की कलायात्रा 20 वर्ष की उम्र में शुरू हुई। उन्होंने 1960 में संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानांतरित होने से पहले खुद को शास्त्रीय कला में डुबो दिया। उनकी कई कलाकृतियों पर विवाद भी हुआ।
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उनके सबसे प्रभावशाली बड़े चित्रों की एक शृंखला थी। इसमें अमेरिकी सेना इराक की एक जेल में कैदियों को यातना देती दर्शायी गई है। इस शृंखला को वाशिंगटन में व्हाइट हाउस के पास प्रदर्शित किया गया था। अपने शानदार करियर के दौरान बोटेरो ने पेरिस, न्यूयॉर्क, मैक्सिको, कोलंबिया और इटली सहित विभिन्न वैश्विक शहरों में स्टूडियो बनाए। उनके गृहनगर मेडेलिन ने उनके सम्मान में एक सप्ताह के शोक की घोषणा की है।