जितनी तेजी से हमारी लाइफस्टाइल और खानपान में बदलाव आया है, उतनी ही तेजी से पिछले कुछ सालों में हार्ट अटैक के मामले भी बढ़े हैं. कुछ समय से हार्ट अटैक से मरने वालों का आंकड़ा भी तेजी से बढ़ता है. हार्ट अटैक और दिल की बीमारियों का एक कारण हार्ट ब्लॉकेज भी है. इसकी वजह से दिल से जुड़े खतरे तेजी से बढ़ रहे हैं. ज्यादातर मामलों में हार्ट ब्लॉकेज के लक्षण नजर नहीं आते हैं, इसलिए ये ज्यादा खतरनाक होते हैं. ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. आइए जानते हैं हार्ट ब्लॉकेज से जुड़ी हर जानकारी…
हार्ट ब्लॉकेज क्या है
एक ऐसी स्थिति जब दिल बहुत ही कम स्पीड या आसामान्य तरीके से धड़कता है, हार्ट ब्लॉकेज होता है. उम्र का बढ़ना, हार्ट अटैक या कोरोनरी आर्टरी डिजीज, पोटेशियम का लेवल बढ़ना और कोलेस्ट्रॉल बढ़ने जैसी समस्याओं की वजह से हार्ट में ब्लॉकेज आ सकती है. अक्सर देखने में मिलता है कि ब्लॉकेज के ज्यादातर लक्षणों का समय पर पता नहीं चल पाता है. जिसकी वजह से अधिकतर केस में बिना लक्षण के भी किसी वक्त हार्ट अटैक आ सकता है. इसलिए सही समय पर इलाज से हार्ट ब्लॉकेज की समस्या से बच सकते हैं.
हार्ट की ब्लॉकेज पता करने का तरीका
1. डॉक्टर के मुताबिक, आप चाहें तो 1 दिन में ही हार्ट ब्लॉकेज का पता लगा सकते हैं. ct coronary scan में 5 सेकंड तक एक इंजेक्शन दी जाती है और इतने ही समय का एक्स-रे लिया जाता है. पूरी प्रॉसेस में ज्यादा से ज्यादा 5 मिनट का वक्त लगता है. इससे पता चल जाता है कि ब्लॉकेज 10, 20, 50 या 80 कितने प्रतिशत पर पहुंचा है. इससे ब्लॉकेज के लोकेशन की जानकारी भी लग जाती है. इस टेस्ट को करवाने का खर्च 8 से 10 हजार रुपए है.
2. फर्स्ट-डिग्री हार्ट ब्लॉक में लक्षण नहीं पता चलते और जांच के बाद ही इनकी जानकारी हो पाती है. वहीं, 2-डिग्री हार्ट ब्लॉक को मोबिट्ज़ टाइप 1 के नाम से जानते हैं. इनमें ज्यादातर लोगों में तो लक्षण नजर नहीं आता लेकिन कुछ लोगों में चक्कर, बेहोशी, छाती में दर्द या सांस लेने में दिक्कत होनी जैसी परेशआनी महसूस हो सकती है.
3. डिग्री हार्ट ब्लॉक के लक्षणों में बेहोशी, सांस फूलना, ज्यादा थकान, कभी-कभी भ्रम होना और छाती में दर्द होता है.
हार्ट ब्लॉक होने से कैसे रोकें
हार्ट ब्लॉक होने पर अचानक से बेहोशी आने पर चोट लग सकती है, ब्लड प्रेशर लो हो सकता है, शरीर के अंदरूनी अंगों को नुकसान और हार्ट अटैक जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए इससे बचने के लिए हेल्दी लाइफस्टाइल मेंटेन करना चाहिए. एक्सरसाइज, संतुलित खानपान और धूम्रपान से दूरी बनाकर इस समस्या से खुद को बचा सकते हैं. समय-समय पर डॉक्टर की सलाह लेना न भूलें.