क्या आप जानते हैं? ज़्यादा दूध पीना सेहत के लिए हो सकता है नुकसानदायक

दूध को हमेशा से एक संपूर्ण और पौष्टिक आहार माना जाता है। यह विटामिन डी, कैल्शियम और प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत होता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है और शरीर की ताकत को बढ़ाता है। डॉक्टर भी रोज़ाना दूध पीने की सलाह देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ज़रूरत से ज़्यादा दूध पीना आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है?

चलिए जानते हैं कि ज्यादा दूध पीने से क्या समस्याएं हो सकती हैं और रोजाना कितना दूध पीना सही रहता है।

ज्यादा दूध पीने से होने वाले नुकसान
1. हॉर्मोनल असंतुलन और वज़न बढ़ना
दूध में कैलोरी और फैट की मात्रा अधिक होती है। एक कप दूध में लगभग 5 ग्राम फैट और 152 कैलोरी होती है। इसमें मौजूद लैक्टोज एक प्राकृतिक शुगर है जो ज्यादा मात्रा में लेने से वज़न तेजी से बढ़ा सकता है और हॉर्मोन असंतुलन की वजह बन सकता है।

2. पेट की समस्याएं
रोज़ाना ज़्यादा दूध पीने से गैस, पेट फूलना, दस्त या कब्ज जैसी समस्याएं हो सकती हैं। दूध में मौजूद लैक्टोज पाचन तंत्र में अच्छे और खराब बैक्टीरिया के संतुलन को बिगाड़ सकता है।

3. डाइजेशन की गड़बड़ी
कुछ लोगों का शरीर लैक्टोज को ठीक से पचा नहीं पाता। ऐसे में ज्यादा दूध पीने से अपच, उल्टी और बेचैनी हो सकती है।

4. त्वचा की समस्याएं
जिन लोगों को एक्ने या पिग्मेंटेशन की समस्या है, उन्हें दूध का सेवन सीमित करना चाहिए। एक्सपर्ट्स का मानना है कि दूध में मौजूद हार्मोन स्किन एलर्जी, पिंपल्स और चकत्तों का कारण बन सकते हैं।

5. लिवर से जुड़ी परेशानी
यदि आप किसी लिवर संबंधी बीमारी से पीड़ित हैं, तो दूध का अधिक सेवन आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। दूध में वसा अधिक होती है और लिवर की कमजोरी के चलते वह इसे पचाने में असमर्थ हो सकता है, जिससे सूजन जैसी समस्या हो सकती है।

कितना दूध पीना है सही?
हर व्यक्ति की दूध पीने की ज़रूरत उसकी उम्र और शारीरिक क्षमता पर निर्भर करती है। नीचे एक सामान्य गाइड दी गई है:

3 साल तक के बच्चे: 300 से 500 मिलीलीटर

4 से 10 साल के बच्चे: 400 से 600 मिलीलीटर

11 से 18 साल के किशोर: 500 से 700 मिलीलीटर

18 साल से ऊपर के वयस्क: 1 से 2 गिलास (लगभग 250 से 500 मिलीलीटर)

ध्यान रखें:
दूध पोषण का खजाना है, लेकिन हर चीज की अति बुरी होती है। संतुलित मात्रा में इसका सेवन करें ताकि आपको इसके सभी फायदे मिल सकें और किसी भी तरह की समस्या से बचा जा सके।

यह भी पढ़ें:

उपराष्ट्रपति धनखड़ का बड़ा बयान: “न्यायपालिका में जवाबदेही जरूरी, एफआईआर में भी रुकावट क्यों