पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत के आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर विपक्ष ने संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग जोर-शोर से की है। कांग्रेस इस मुद्दे को प्रमुखता से उठा रही है। अब आरजेडी के सांसद मनोज झा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने कहा कि यह पत्र देश के उन लोगों की भावनाओं और चिंताओं को दर्शाता है, जिन्हें लगता है कि उन्हें देश के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जानकारी से वंचित रखा गया है। देशवासी ‘संगठित अराजकता’ को लेकर गंभीर रूप से चिंतित हैं। इसलिए मैं आपसे आग्रह करता हूं कि पाकिस्तान के खिलाफ हाल ही में की गई सीमा पार कार्रवाई, उसके निहितार्थ और आगे के रास्ते पर चर्चा के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाया जाए।
मनोज झा ने अपने पत्र में आगे लिखा है कि सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात विदेशी सरकारों द्वारा हमारे विदेश नीति के मामलों में हस्तक्षेप की है। दूसरा, हमें एक मजबूत शासन तंत्र विकसित करना होगा। तीसरा, मीडिया और सूचना व्यवस्था में सुधार की चुनौती है, जिसने न केवल सुरक्षा बलों के साहसिक प्रयासों को कमजोर किया बल्कि सामाजिक विभाजन और अशांति को भी बढ़ावा दिया। अंत में, राजनीतिक और चुनावी अभियानों में सुरक्षा बलों का अवसरवादी इस्तेमाल गंभीर चिंता का विषय है, जो हमारे रक्षा बलों का राजनीतिकरण है।
मनोज झा ने यह भी बताया कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ऑपरेशन शुरू होने के बाद कम से कम 12 बार भारत-पाक सीमा पर सीजफायर का क्रेडिट लिया है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी प्रशासन ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर समझौतों के लिए दबाव डाला। अमेरिकी मीडिया की रिपोर्टों के मुताबिक ट्रंप की घोषणा भारत-पाक के बढ़ते तनाव और वाशिंगटन से मिले-जुले संकेतों के बाद आई थी। उन्होंने पूछा कि क्या अमेरिकी प्रशासन ने आपकी सरकार से संपर्क किया था? भारत ने इस पर क्या प्रतिक्रिया दी?
आरजेडी सांसद ने कहा कि जब विदेशी नेता हमारे देश की सुरक्षा चुनौतियों का क्रेडिट लेते हैं तो इससे हमारे देश की वैश्विक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है और संप्रभुता कमजोर होती है। अमेरिकी हस्तक्षेप से भारत-पाक की जोड़ी फिर से जुड़ गई है, लेकिन संसद में इस विषय पर अभी तक कोई चर्चा नहीं हुई।
मनोज झा ने पत्र में यह भी लिखा कि अगर हमारे सुरक्षाबलों की प्रतिबद्धता और क्षमता के चलते ऑपरेशन सफल रहा है, तो संसद को जवाब देने में हिचकिचाहट क्यों होनी चाहिए? वैश्विक संसदीय आउटरीच मिशन से यह भी पता चलता है कि भारत दुनिया को अपनी स्थिति समझाने में असफल रहा है। आधिकारिक पुष्टि से पहले सोशल मीडिया ने अपुष्ट हताहतों की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर पेश की।
उन्होंने कहा कि सरकार का कर्तव्य है कि वह देश को पूरी जानकारी दे और रणनीतिक नतीजों तथा भविष्य की नीतियों पर चर्चा करे। संसद राष्ट्रीय महत्व के ऐसे मामलों के लिए ही है। सरकार की अनिच्छा या तो आत्मविश्वास की कमी या जानबूझकर अस्पष्टता को दर्शाती है, जो किसी भी राष्ट्रीय हित की पूर्ति नहीं करती। हमें उम्मीद है कि जल्द ही संसद का विशेष सत्र बुलाया जाएगा।
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