क्या चीन यात्रा बन गई बांग्लादेशी नेताओं की ‘सत्ता विदाई यात्रा’? यूनुस पर भी मंडराया खतरा

कहते हैं, इतिहास से सीखना ज़रूरी होता है — लेकिन लगता है बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस इस बात को समझ नहीं पाए। उन्होंने एक ऐसी गलती कर दी जो बांग्लादेश की राजनीति में अब ‘सत्ता से विदाई’ का संकेत मानी जा रही है: चीन यात्रा।

यूनुस करीब एक महीने पहले चीन गए थे। वहां उन्होंने गरीबी उन्मूलन और सामाजिक उद्यमिता पर सहयोग की बातें कीं। लेकिन इन सबके बीच उन्होंने भारत की नीतियों की आलोचना कर दी — और शायद यहीं उन्होंने वही चूक की, जो पहले कई बड़े नेता कर चुके हैं।

‘ड्रैगन डिप्लोमेसी’ का इतिहास और एक रहस्यमय संयोग
बांग्लादेश की राजनीति में एक अजीब सा संयोग देखा गया है: जो नेता चीन जाता है, वह कुछ ही महीनों में सत्ता से बाहर हो जाता है। यह कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि हाल की घटनाओं से निकली एक राजनीतिक परंपरा बनती जा रही है।

खालिदा जिया की चीन यात्रा और सत्ता से विदाई
साल 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री खालिदा जिया चीन के दौरे पर गईं। इंफ्रास्ट्रक्चर और रक्षा सहयोग जैसे अहम समझौते हुए। लेकिन देश लौटते ही राजनीतिक तूफान खड़ा हो गया। भ्रष्टाचार के आरोप, चीन से अत्यधिक निर्भरता और विरोधी आंदोलनों ने 2006 में उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया।

शेख हसीना की रणनीतिक गलती
साल 2024 में शेख हसीना ने भी चीन का दौरा किया और BRI (बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव) जैसी परियोजनाओं पर करार किए। चीन से सैन्य और आर्थिक सहयोग ने भारत को चिंतित किया। नतीजा? जनता में असंतोष बढ़ा, विपक्ष ने मोर्चा खोला और साल के अंत तक हसीना को सत्ता गंवानी पड़ी।

अब यूनुस की बारी?
अब बारी है प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस की। उनकी चीन यात्रा और भारत विरोधी बयान ने उनके खिलाफ माहौल बनाना शुरू कर दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि यदि यूनुस ने सत्ता में आने की कोशिश की, तो वे भी ‘ड्रैगन सिंड्रोम’ के शिकार हो सकते हैं — यानी चीन जाएं और सत्ता छोड़ें।

ड्रैगन डिप्लोमेसी या राजनीतिक जाल?
विशेषज्ञ मानते हैं कि चीन छोटे देशों को कर्ज और निवेश के नाम पर फंसाता है। बदले में बढ़ता राजनीतिक हस्तक्षेप और अस्थिरता देखी जाती है। बांग्लादेश इसका सबसे ताजा उदाहरण है। हर बार चीन की नजदीकी बढ़ाने की कोशिश वहां के नेताओं को भारी पड़ी है।

जनता अब इसे बाहरी हस्तक्षेप मानती है। कोई भी नेता जब चीन से नाता मजबूत करता है, तो घर के अंदर उसकी पकड़ कमजोर पड़ जाती है। अब सवाल यह है — क्या यूनुस इस चक्रव्यूह से निकल पाएंगे, या एक और नाम उस सूची में जुड़ जाएगा जिसे चीन ने सत्ता से दूर किया?

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