रामानंद सागर के प्रसिद्ध धारावाहिक ‘रामायण’ में भगवान राम का किरदार निभाने वाले अरुण गोविल अब राजनीति में भी अपनी पहचान बना चुके हैं। मेरठ से बीजेपी सांसद चुने गए अरुण गोविल ने टीवी9 भारतवर्ष के शो ‘5 एडिटर्स’ में अपने राजनीतिक सफर की दिलचस्प कहानी सुनाई।
कैसे हुई राजनीति में एंट्री?
अरुण गोविल ने बताया कि राजनीति में आने की उनकी कोई इच्छा नहीं थी। लेकिन 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन उनके मन में पहली बार चुनाव लड़ने का विचार आया।
अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के दौरान अचानक आया विचार!
कुछ देर में यह ख्याल चला भी गया, लेकिन कुछ दिन बाद बीजेपी से टिकट का फोन आ गया!
अयोध्या से चुनाव क्यों नहीं लड़ा?
अरुण गोविल ने साफ किया कि उनकी कभी भी अयोध्या से चुनाव लड़ने की इच्छा नहीं थी। उन्होंने बताया कि रामायण के बाद से कई बार चुनाव लड़ने के ऑफर मिले, लेकिन राजनीति में आने का मन कभी नहीं बनाया।
बीजेपी ने मेरठ से चुनाव लड़ाने का फैसला किया।
पार्टी के निर्देश पर जहां उचित लगा, वहां से चुनाव लड़ा।
पूर्व मेयर और सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी सुनीता वर्मा को 9000 वोटों से हराया।
संविधान बदलने वाले बयान पर दी सफाई!
संविधान बदलने पर दिए अपने बयान को लेकर अरुण गोविल ने कहा कि उनकी बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया।
“मैंने बस इतना कहा था कि संविधान में समय-समय पर बदलाव होते रहे हैं, जो प्रकृति का नियम है। मैंने संविधान बदलने की कोई बात नहीं की थी।”
टीवी से राजनीति तक का सफर
1987 में ‘रामायण’ से घर-घर में पहचाने जाने वाले अरुण गोविल ने लॉकडाउन के दौरान जब यह सीरियल दोबारा प्रसारित हुआ, तो उनकी लोकप्रियता फिर से बढ़ गई।
अब मेरठ से सांसद बनकर राजनीति में अपनी नई पारी शुरू कर चुके हैं।
क्या अरुण गोविल राजनीति में भी ‘राम’ की तरह आदर्श स्थापित कर पाएंगे?
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