डोनाल्ड ट्रंप नए साल की शुरुआत में 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू करेंगे. इससे पहले ही भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है. पाकिस्तानी सेना के चीफ आसिफ मुनीर भी इस वक्त टेंशन में होंगे. ट्रंप 2.0 में तुलसी गबार्ड को अमेरिका के डायरेक्टर ऑफ इंटेलीजेंस के पद के लिए चुना गया है. हाल ही में तुलसी ने पाकिस्तानी आर्मी को उसके किए की याद दिलाई. साथ ही उन्होंने बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार पर भी वहां हिन्दुओं पर हो रहे हमलों को लेकर जमकर निशाना साधा.
डॉनाल्ड ट्रंप अपडेट्स के नाम से आधिकारिक एक्स हैंडल पर रविवार को शेयर किए गए वीडियो में तुलसी गबार्ड ने पाकिस्तान और बांग्लादेश को अच्छे से धोकर रख दिया. उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस (अमेरिकी संसद) की सदस्य होने के नाते मैं बांग्लादेश में हिन्दू और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे हमलों को लेकर प्रस्ताव लाना चाहूंगी. आज भी वहां लोगों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है. इस प्रताड़ना की शुरुआत आज से 50 साल पहले हुई. जब पाकिस्तानी सेना ने वहां सिस्टमैटिक तरीके से बंगाली हिन्दुओं को मारा, उनके साथ रेप किया गया. पाकिस्तानी सेना द्वारा 25 मार्च 1971 को इस सिस्टमैटिक तरीके से हिन्दुओं को निशाना बनाने की शुरुआत की गई.’
तुलसी गबार्ड को ढाका यूनिवर्सिटी कांड भी अच्छे से याद है. उन्होंने आगे कहा, ‘सबसे पहले ढाका यूनिवर्सिटी के जगन्नाथ हॉल से इसकी शुरुआत हुई. पहली रात को ही पाकिस्तानी आर्मी ने यहां पांच से 10 हजार हिन्दुओं को मौत के घाट उतार दिया. अगले 10 महीने तक यह नरसंहार जारी रहा. इस दौरान दो से तीन मिलियन लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. एक करोड़ से ज्यादा लोगों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा.’
मोहम्मद यूनुस की सरकार पर निशाना साधते हुए तुलसी गबार्ड ने कहा, ‘बांग्लादेश में हिन्दुओं पर इस्लामिक प्रताड़ना आज भी जारी है. इसे आम इस्लाम को फॉलो करने वाले लोगों के साथ कंफ्यूज ना किया जाए. 1900 की शुरुआत में बांग्लादेश में हिनदू करीब 33 प्रतिशत थे. हिन्दुओं पर लगातार हो रहे हमलों के कारण अब उनकी जनसंख्या महज आठ प्रतिशत रह गई है. इराक, लीबिया और सीरिया में रिजीम अमेरिका द्वारा सत्ता बदलने से पहले तक यहां भी इस्लामिक जिहादियों ने अल्पसंख्यकों का जीना मुश्किल कर रखा था. पहले इराक में 15 लाख क्रिस्चियन थे और सीरिया में 22 लाख लोग क्रिस्चियन हुआ करते थे. अब इराक में तीन लाख सीरिया में साढ़े चार लाख क्रिस्चियन हैं.