प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि देश में लगभग 20 हजार भाषायें और बोलियां हैं और ये सब किसी न किसी की मातृ भाषा में है।
श्री मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम मन की बात में कहा कि सभी बच्चें अपनी मातृ भाषा को आसानी से और जल्दी सिखाता है। देश में लगभग बीस हजार भाषाएं और बोलियाँ हैं और ये सब की सब किसी-न-किसी की तो मातृ-भाषा है ही हैं। कुछ भाषाएं ऐसी हैं जिनका उपयोग करने वालों की संख्या बहुत कम है लेकिन उन भाषाओं को संरक्षित करने के लिए, आज, अनोखे प्रयास हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसी ही एक भाषा है ‘संथाली’ भाषा। ‘संथाली’ को डिजिटल इनोवेशन की मदद से नई पहचान देने का अभियान शुरू किया गया है।
‘संथाली’, देश के कई राज्यों में रह रहे संथाल जनजातीय समुदाय के लोग बोलते हैं। भारत के अलावा बंगलादेश, नेपाल और भूटान में भी संथाली बोलने वाले आदिवासी समुदाय मौजूद हैं। संथाली भाषा की ऑनलाइन पहचान तैयार करने के लिए ओडिशा के मयूरभंज में रहने वाले रामजीत टुडु एक अभियान चला रहे हैं। रामजीत जी ने एक ऐसा डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार किया है, जहां संथाली भाषा से जुड़े साहित्य को पढ़ा जा सकता है और संथाली भाषा में लिखा जा सकता है।
दरअसल कुछ साल पहले जब रामजीत जी ने मोबाईल फोन का इस्तेमाल शुरू किया तो वो इस बात से दुखी हुए कि वो अपनी मातृभाषा में संदेश नहीं दे सकते। इसके बाद वो ‘संथाली भाषा’ की लिपि ‘ओल चिकी’ को टाईप करने की संभावनाएं तलाश करने लगे। अपने कुछ साथियों की मदद से उन्होंने ‘ओल चिकी’ में टाईप करने की तकनीक विकसित कर ली। आज उनके प्रयासों से ‘संथाली’ भाषा में लिखे लेख लाखों लोगों तक पहुँच रहें हैं।
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