पाकिस्तान के पूर्व सलामी बल्लेबाज मुदस्सर नजर ने रविवार को खुलासा किया कि 1990 के दशक की शुरुआत में उनकी टीम पर बहुत दबाव था क्योंकि हार निश्चित रूप से बेईमानी और मैच फिक्सिंग का संदेह पैदा करती थी, विशेषकर भारत के खिलाफ।
पाकिस्तानी टीम 90 के दशक में सबसे प्रतिभाशाली टीमों में से एक थी। 1992 के विश्व कप की जीत के साथ यह साफ भी हो गया था। लेकिन उन दिनों मैच फिक्सिंग को लेकर भी चर्चा होती थी और मुदस्सर को लगता है कि खिलाड़ी लोगों में इस तरह की धारणा के कारण बहुत डर में रहने लगे थे।
मुदस्सर ने यहां ‘क्रिकेट प्रेडिक्टा कॉन्क्लेव’ के समापन भाषण में कहा, ‘‘मुझे लगता है कि अगर आप 90 के दशक में पाकिस्तान की टीम को देखें तो प्रतिभा के मामले में वे 90 के दशक की ऑस्ट्रेलिया जितनी ही अच्छी टीम थी। लेकिन मैच हारने का डर बना रहता था और मैं यहां थोड़ा विवादास्पद होने जा रहा हूं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विवाद के पीछे मैच फिक्सिंग है। पाकिस्तानी टीम पर बहुत दबाव था क्योंकि हर बार जब वे कोई मैच हारते थे तो लोग सोचते थे कि मैच संदिग्ध था, मैच फिक्स था। कोई भी यह मानने को तैयार नहीं था कि वे वास्तव में एक बेहतर टीम से हार गए।’’
भारत के खिलाफ हार से चीजें और मुश्किल हो जातीं क्योंकि दोनों पड़ोसी देशों के बीच कड़ी प्रतिद्वंद्विता है। उन्होंने कहा, ‘‘आप इसमें एक और पहलू जोड़ सकते हैं जो भारत के खिलाफ खेलने का पहलू है। कोई भी पाकिस्तानी, कोई भी भारतीय, एक दूसरे से मैच हारना नहीं चाहता था। हमने शारजाह में यह देखा है और यही कारण है कि यहां भारत बनाम पाकिस्तान इतना बड़ा मुकाबला होता था।’’
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