नौसेना के शीर्ष कमांडरों का चार दिन का सम्मेलन कल से यहां शुरू होगा जिसे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और प्रमुख रक्षा अध्यक्ष संबोधित करेंगे तथा अनेक वरिष्ठ अधिकारी भविष्य की रणनीति पर गहन विचार विमर्श करेंगे।
नौसेना के प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि शीर्ष कमांडरों के सम्मेलन का दूसरा संस्करण 17 से 20 सितंबर तक राजधानी में होगा। सम्मेलन में महत्वपूर्ण रणनीतिक, संचालन और प्रशासनिक मुद्दों पर गहन मंथन किया जायेगा। पश्चिम एशिया में उभरती भू-राजनीतिक और भू-रणनीतिक गतिशीलता, क्षेत्रीय चुनौतियों तथा समुद्री सुरक्षा स्थिति की जटिलता की पृष्ठभूमि में आयोजित यह सम्मेलन नौसेना की भविष्य की रणनीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
प्रवक्ता ने बताया कि सम्मेलन के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय अपेक्षाओं से संबंधित मामलों पर नौसेना कमांडरों को संबोधित करेंगे। सेना ,वायु सेना के प्रमुख और प्रमुख राष्ट्रीय अध्यक्ष नौसेना कमांडरों के साथ संघर्ष के विभिन्न पहलुओं तथा थियेटराइजेशन की दिशा में तालमेल के लिए तीनों सेनाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा करेंगे।
सम्मेलन की शुरुआत नौसेना प्रमुख के उद्घाटन भाषण से होगी और वह पिछले छह महीनों के दौरान नौसेना की प्रमुख संचालन, सामग्री, लॉजिस्टिक, मानव संसाधन विकास, प्रशिक्षण,समुद्री हितों की रक्षा और प्रशासनिक गतिविधियों की समीक्षा करेंगे ।
नौसेना ने व्यापार सुरक्षा को प्रभावित करने वाले ड्रोन और मिसाइलों के उभरते खतरों के खिलाफ ताकत तथा संकल्प के साथ जवाब दिया है, और हिंद महासागर क्षेत्र में पसंदीदा सुरक्षा कार्रवाई करने वाले बल के रूप में अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। कमांडर 2047 तक पूर्ण ‘आत्मनिर्भरता’ के दृष्टिकोण के अनुरूप ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से स्वदेशीकरण को बढ़ाने से संबंधित नौसेना परियोजनाओं की भी समीक्षा करेंगे। क्षेत्र में भारत के समुद्री हितों की रक्षा के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता की भी व्यापक समीक्षा की जाएगी।
कमांडरों का सम्मेलन एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में भारत के समुद्री हितों की रक्षा और ‘युद्ध के लिए तैयार, विश्वसनीय, एकजुट और भविष्य के लिए तैयार बल’ के रूप में नौसेना की प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
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