अस्थमा के मरीजों के लिए बेहद फायदेमंद हैं एक्सपर्ट्स के बताए ये योगासन

अस्थमा के इलाज के लिए नियमित रूप से दवाइयों का सेवन करना जरूरी है। इसके अलावा रोजाना योगाभ्यास से भी अस्थमा को ठीक करने में मदद मिल सकती है। अस्थमा फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है। इस बीमारी में सांस की नली में सूजन आ जाती है, जिसके कारण श्वसन मार्ग संकुचित हो जाता है। इसके कारण पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत, खांसी, घबराहट, छाती में दर्द जैसी कई तरह की परेशानियां होती हैं। अगर समय रहते अस्थमा का इलाज न किया जाए, तो अटैक पड़ने से व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।योग  एक्सपर्ट्स के अनुसार, कुछ योग आसनों के नियमित अभ्यास से अस्थमा के रोगियों को विशेष लाभ मिल सकता है।आज हम आपको कुछ ऐसे योगासनों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके अभ्यास से अस्थमा की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।

भुजंगासन- इस आसन को करने के लिए योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं।अपनी कोहनियों को कमर से सटा के रखें और हथेलियां ऊपर की ओर रखें।अब धीरे-धीरे सांस भरते हुए, अपनी छाती को ऊपर की ओर उठाएं।उसके बाद अपने पेट को धीरे-धीरे ऊपर उठा लें। इस स्थिति में 30 सेकंड तक रहें।अब सांस छोड़ते हुए, सिर को धीरे-धीरे जमीन की ओर नीचे लाएं।इस प्रक्रिया को आप 3 से 5 बार दोहराएं।

उष्ट्रासन- इस आसन को करने के लिए जमीन पर घुटने के बल बैठ जाएं और दोनों हाथों को कूल्हों पर रखें। ध्यान रखें कि दोनों घुटने आपके कंधों के समानांतर हों।अब गहरी सांस लें और रीढ़ की निचली हड्डी पर आगे की तरफ दबाव डालें।इस दौरान पूरा दबाव नाभि पर महसूस होना चाहिए।इसके बाद अपने हाथों से पैरों को पकड़ें और कमर को पीछे की तरफ मोड़ें।।इस स्थिति में 30-60 सेकेंड रुकने के बाद आप धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में आ सकते हैं।इस प्रक्रिया को 3-5 बार दोहराएं।

अधोमुख श्वानासन-इस आसन को करने के लिए सबसे पहले योगा मैट पर पेट के बल लेट जाएं।अब अपने हाथ और पैरों को जमीन पर रखते हुए, अपनी पीठ और कूल्हों को ऊपर की ओर उठाएं।इस मुद्रा में 1-2 मिनट तक रहें।इसके बाद सांस छोड़ते हुए प्रारंभिक मुद्रा में आ जाएं।इस प्रक्रिया को 3-5 बार दोहराएं।

गौमुखासन-इस आसन को करने के लिए योगा मैट पर अपने दोनों पैरों को आगे करके बैठ जाएं।अपने दोनों हाथों को बगल में रखें।अब अपने बाएं पैर को घुटने से मोड़ें।इसके बाद, अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़ें और बाएं पैर के ऊपर रख दें।फिर अपने बाएं हाथ को कोहनी से मोड़कर पीठ पर ले जाएं और ऊपर को रखें।इसी तरह अपने दाएं हाथ को कोहनी से मोड़कर पीछे की तरफ ले जाएं और इससे बाएं हाथ को पकड़ेंहैं।इस स्थिति में 30 सेकेंड के लिए रहें।फिर धीरे-धीरे प्रांरभिक अवस्था में लौट आएं।इस प्रक्रिया को 3-5 बार दोहराएं।

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