सपा को उप्र में भाजपा का विजय रथ रोकने के लिए कांग्रेस के साथ गठबंधन से उम्मीद

उत्तर प्रदेश में पिछले तीन विभिन्न चुनावों में अलग-अलग दलों से गठबंधन कर मैदान में उतरने वाली समाजवादी पार्टी (सपा) एक बार फिर कांग्रेस से गठबंधन कर अपनी चुनावी वैतरणी पार लगाने की उम्मीद कर रही है।

समाजवादी पार्टी ने ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस’ (इंडिया) गठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के साथ तालमेल किया है। इसके तहत सपा उत्तर प्रदेश की 80 में से 62 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी जबकि कांग्रेस 17 सीटों पर प्रत्याशी उतारेगी। सपा ने भदोही की सीट इंडिया गठबंधन के तहत तृणमूल कांग्रेस को दी है।

सपा ने वर्ष 2017 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के साथ गठबंधन करके लड़ा था। इसके अलावा उसने साल 2019 का लोकसभा चुनाव बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और रालोद के साथ और 2022 का विधानसभा चुनाव रालोद, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी, अपना दल कमेरावादी तथा कुछ अन्य दलों के साथ गठबंधन करके लड़ा था।

सपा ने वर्ष 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा और रालोद से गठबंधन करके लड़ा था। इस गठजोड़ ने प्रदेश के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों में कुछ सीटों पर भाजपा को टक्कर दी थी, लेकिन वह कोई बड़ा प्रभाव डालने में विफल रहा था। बसपा को 10 और सपा को पांच सीटों पर कामयाबी मिली थी जबकि रालोद का खाता नहीं खुल सका था।

बसपा ने इस बार अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है। ऐसे में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के रथ को रोकना सपा और कांग्रेस के प्रदर्शन पर निर्भर करेगा। इस बार मुकाबला और भी ज्यादा दिलचस्प हो सकता है क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में प्रभावशाली माना जाने वाला राष्ट्रीय लोकदल और पूर्वांचल में असरदार कही जाने वाली सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी समेत कई पार्टियां इस बार राजग के हिस्से के रूप में सपा-कांग्रेस गठबंधन के लिए चुनौती पेश करेंगी।

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने राज्य की 80 लोकसभा सीटों में से 73 पर जीत हासिल की थी। हालांकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को नुकसान हुआ था और उसे 62 सीटें मिली थीं जबकि उसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को दो सीटों पर कामयाबी हासिल हुई थी। सपा-बसपा गठबंधन ने 15 और कांग्रेस ने एक सीट जीती थी।

पश्चिमी क्षेत्र: उत्तर प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव पर क्षेत्रवार नजर डालें तो भाजपा को सबसे ज्यादा 23 सीटें राज्य के पश्चिमी हिस्से से मिली थीं। बसपा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा और नगीना (एससी) सीटें जीती थीं जबकि सपा संभल, मुरादाबाद, मैनपुरी और रामपुर में विजयी हुई।

मध्य क्षेत्र: राज्य के मध्य क्षेत्र में अमेठी और रायबरेली प्रमुख संसदीय क्षेत्र हैं। दोनों लंबे समय से कांग्रेस के गढ़ माने जाते रहे हैं। साल 2019 में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी रायबरेली सीट बरकरार रखी थी लेकिन उनके बेटे राहुल गांधी अमेठी सीट केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से हार गए थे।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह लखनऊ से जीते थे।बसपा ने मध्य क्षेत्र से अंबेडकर नगर के रूप में केवल एक सीट जीती थी।भाजपा ने इस क्षेत्र से 13 सीटें जीती थीं, जिसमें प्रतिष्ठित फैजाबाद लोकसभा सीट भी शामिल है।पूर्वी क्षेत्र: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी राज्य के पूर्वी हिस्से की 30 सीटों में शामिल है।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र से बसपा ने पांच सीटें जीतीं थीं जबकि सपा ने आजमगढ़ के रूप में एक सीट और भाजपा के सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) ने दो सीटें जीती थीं।बुन्देलखण्ड क्षेत्र: साल 2019 में बुन्देलखण्ड क्षेत्र में भाजपा की जीत हुई थी। उसे झांसी, बांदा, हमीरपुर और जालौन-एससी की सभी चार लोकसभा सीटों पर कामयाबी मिली थी।