पब्लिक आई की एक रिपोर्ट के अनुसार ये पता चला है को नेस्ले कंपनी बाजारों में अलग अलग देश के हिसाब उत्पाद बनाकर बेच रहीं है। रिपोर्ट्स से पता चला है कि गरीब देशों में जो भी शिशु के लिए दूध बेचें का रहे है इनमे चीनी की अधिक मात्रा मिलाई जा रही है, जबकि यूरोप के बाजारों में बिकने वाले उत्पाद मैं ऐसा नहीं पाया गया है नेस्ले कंपनी के द्वारा दो सबसे बिकने वाले बेबी फूड में चीन की सबसे अधिक मात्रा मिलाई गई है। अब अगर विकसित देशों की बात करें तो जैसे ब्रिटेन, स्विट्जरलैंड और अन्य देशों में चीनी के बिना बेचे जा रहे हैं।
दुनिया की जानी मानी उत्पाद कंपनी नेस्ले के बारे में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है की वह बच्चों के दूध में मोटापे और गंभीर बीमारियों को रोकने के लिए जारी नियम को नहीं मानने को उल्लंघन कर रहे है इन्होंने चीनी और शहद जैसी चीजें अपने उत्पाद में मिला रही है। नेस्ले की ओर से यह उल्लंघन कंपनी के कई देशों में एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी में उजागर हुआ है।
भारत में बिकने वाले नेस्ले के बेबी फुड प्रोडक्ट्स में चीनी की मात्रा कितनी?
इस रिपोर्ट खुलासा तब हुआ जब इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क ने कई देशों के जैसे एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका में बेचे जाने वाले कंपनी के बच्चों के फूड आइटम्स के सैंपल बेल्जियम की एक लैब में टेस्टिंग के लिए भेजे थे रिपोर्ट में चला की जी भी बिकने वाले उत्पाद है वे सभी हर सर्विंग में करीब 3 ग्राम चीनी से बनाए गए है चीनी की इस मात्रा को लेकर किसी प्रकार को लेबलिंग नहीं की गई है। नेस्ले ने गरीब और विकासशील देशों में बेचे जा रहे उत्पादों में फर्क किया है इसकी पुष्टि जांच के बाद हुई है। कंपनी का यह कार्य अमाननीय बताया गया है इससे बच्चों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और नैतिक दोनों ही तरह से कई सवाल खड़े करता है।
आपको बता दें कि साल 2022 में, WHO ने सभी शिशुओं के लिए फूड आइटम्स में चीनी मिलाने पर रोक लगाने का घोषणा किया था और साथ ही सभी बेबी फ़ूड बनाने वाली कंपनी से भी सुधार करने को कहा था।
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