योगा के द्वारा हम अपने पूरे शरीर को स्वस्थ रख सकते हैं। प्राणायाम करते समय हम अपनी सांसों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इसमें धीरे- धीरे गहरी सांस ली जाती है। इस प्रक्रिया से मन को बहुत शांति मिलती है ,और इससे तनाव भी बहुत कम होता है। योग के द्वारा अस्थमा के दौरे को भी कम किया जा सकता हैं। प्राणायाम फेफड़ों को सक्रिय बनाने में हमारी मदद करता है। यह सांस लेने के दौरान श्वसन मांसपेशियों की कार्यप्रणाली को बढ़ा सकता है, जिससे उन्हें मजबूती मिलती है। प्राणायाम से हाई बीपी को कंट्रोल करने में भी हेल्प मिलती है। प्राणायाम करने से हमारा शरीर रिलैक्स हो जाता है। तो आइये जानते है इसके बारे में विस्तार से।
प्राणायाम जो हाई बीपी में मदद कर सकते हैं
अनुलोम-विलोम :-
अनुलोम-विलोम प्राणायाम या सांस लेने की एक तकनीक है, जिसमें सांस लेते समय नाक के एक छेद को पकड़कर दूसरे नासिका छिद्र से सांस लेते और छोड़ते है। ऐसा कई बार करते है। अनुलोम-विलोम तनाव, चिंता दूर करने और फोकस को बेहतर बनाने में हमारी मदद करता है। कुछ अध्ययनों से यह भी पता चलता है कि अनुलोम-विलोम ब्लड प्रेशर और हृदय गति को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
भ्रामरी प्राणायाम :-
भ्रामरी प्राणायाम मधुमक्खी की आवाज से प्रेरित है। इस आसन को करने से आप ब्रह्मांड की सभी सकारात्मक शक्तियों से जुड़ती हैं। इस आसन को करने से पहले पालथी मारकर बैठना जरूरी है। आंखें बंद करना होता हैं। दोनों इंडेक्स फिंगर को भौंहों के ऊपर और दूसरी उंगलियों को आंखों पर रख सकती हैं। ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने के लिए यह आसन सबसे अधिक मददगार है।
भस्त्रिका प्राणायाम :-
कई अध्ययनों में भस्त्रिका प्राणायाम को सिस्टोलिक और डायस्टोलिक दोनों तरह के ब्लड प्रेशर को कम करने में बहुत ही प्रभावी पाया गया है। हाई बीपी में इसका लाभ पाने के लिए इसका अभ्यास धीमी गति से करना चाहिए। भस्त्रिका प्राणायाम शरीर के सभी हिस्सों में ऑक्सीजन की आपूर्ति प्रदान करने में मदद करता है। यह शरीर में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाने में भी मदद करता है।
भस्त्रिका में सांस को तेजी से बाहर छोड़ा जाता है और उसी गति से अंदर लिया जाता है। यह शरीर से अशुद्धियों को बाहर निकालने मेंभी हेल्प करता है।
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