पेट में पल रहे बच्चों को कैसे प्रभावित करता है वायु प्रदूषण!

भारत के कई शहरों में हर दिन वायु प्रदूषण काफी बढ़ रहा है. इसकी वजह से अस्थमा के मरीज ही नहीं बल्कि गर्भवती महिलाएं को भी परेशानी हो रही हैं.वायु प्रदूषण के प्रभाव को लेकर एक चौंकाने वाला शोध सामने आया है। इसमें यह बताया गया है कि उन बच्चों में उच्च रक्तचाप का खतरा अधिक रहता है जिनकी माताओं ने अपने गर्भकाल के छठे से नौवें महीने के बीच वायु प्रदूषण के उच्च स्तर का सामना किया हो।आइये जानते है विस्तार से।

बच्चों के लिए कैसे खतरनाक है वायु प्रदूषण:-

Pm 2.5 वायु प्रदूषण जो मोटर वाहन, तेल, कोयला या जैव ईंधन के जलने से पैदा होता है और इसका मानव स्वास्थ्य पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है।इसीलिए पेट में पल रहे बच्चे को ये प्रभावित करती है.

हाइपरटेंशन से जुड़े हैं हृदय रोग:-

‘बाल्यावस्था में अगर किसी बच्चे को हाई बीपी हो जाए तो वयस्क होने पर भी हाई बीपी की समस्या बानी रहती है और यही हाई बीपी हृदय से जुड़ी दूसरी गंभीर बीमारियों की वजह बनता है।

भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक
भारत दुनिया के सबसे प्रदूषित देशों में से एक है. और वायु प्रदूषण को भारत की सेहत के लिए सबसे बड़ा ख़तरा माना जाता है.

पूरे देश के लोगों की ज़िंदगी औसतन चार साल बढ़ सकती है. जबकि राष्ट्रीय मानकों का पालन करने पर..पूरे देश के लोग औसतन 1 साल ज़्यादा ज़िंदा रह सकते हैं.

भारत की जनसंख्या करीब 133 करोड़ है और ऐसे में हमारे देश के हर व्यक्ति की उम्र अगर औसतन 4 साल बढ़ जाए. तो कुल मिलाकर 532 करोड़ वर्ष का जीवनकाल बढ़ जाएगा.

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