छह माह से बंद पड़े हैं विद्युत व्यथा निवारण फोरम, उपभोक्ता परिषद ने सरकार से हस्तक्षेप की मांग की

छह माह से उत्तर प्रदेश के उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान को दूर करने के लिए गठित विद्युत नियामक आयोग के सभी 1758 विद्युत व्यथा निवारण फोरम बंद पड़े हैं। इससे उपभोक्ता काफी परेशान हैं। इसे लेकर राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।

उपभोक्ता परिषद के साथ ही प्रदेश के आने को जनपदों के उपभोक्ताओं ने इसकी मांग उठाते हुए कहा कि पूर्व में गठित पूरे प्रदेश में कमिश्नरी लेवल के 22 विद्युत व्यथा निवारण फोरम को पुन: चालू किया जाए। उपभोक्ताओं के लिए ज्यादा हितकर वर्तमान फोरम उपभोक्ताओं की समस्याओं से बेखबर केवल कागजों तक ही सीमित है। प्रादेशिक वेबिनार में उपभोक्ताओं ने कहा कि बारिश में नदी के किनारे बसे गांव की बिजली पानी भर जाने की वजह से तीन-चार महीने तक बंद रहती है। इस समस्या का निवारण होना चाहिए।

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद की तरफ से उनकी समस्याओं को समझने और उसका समाधान कराने को लेकर आयोजित साप्ताहिक प्रादेशिक वेबिनार में आज प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं ने पूरे उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों में उपभोक्ताओं की समस्याओं के समाधान के लिए बने विद्युत व्यथा निवारण फोरम सीजीआरएफ को पूरी तरीके से फेल बताया। अगस्त 2023 के बाद पूरे कमिश्नरी लेवल पर कार्यरत 22 विद्युत व्यथा निवारण फोरम की जगह बनाए गए।

उपखंड लेवल से लेकर कंपनी लेवल तक 1758 फोरम पिछले 6 महीने से पूरी तरीके से बंद पडे हैं। केवल एक दो फोरम ही काम कर रहे हैं, जिसके लिए सबसे पहली जिम्मेदारी विद्युत नियामक आयोग की है कि उसके द्वारा गठित फोरम यदि काम नहीं कर रहे हैं तो पुराने फोरम को चालू किया जाए, क्योंकि विद्युत उपभोक्ता जाए तो जाएं कहां जाएं।

वेबिनार में शामिल उपभोक्ताओं के सामने अपनी बात रखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि बिजली चोरी को छोड़कर हर समस्या के समाधान को लेकर प्रदेश के विद्युत उपभोक्ता बिजली फोरम का चक्कर लगा रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि जब यह नए फोरम बनाए जा रहे थे, तो उपभोक्ता परिषद ने कड़ा विरोध किया था।