वेड को आउट करने के बाद विश्वास हो गया था कि हम मैच जीत सकते हैं : अर्शदीप

पहले तीन ओवर में 37 रन लुटाने के बाद अंतिम ओवर में शानदार वापसी करने वाले तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया के कप्तान मैथ्यू वेड को आउट करने के बाद उन्हें विश्वास हो गया था कि भारत पांचवा और अंतिम टी20 अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैच जीत सकता है।

अर्शदीप को चिन्नास्वामी स्टेडियम की मुश्किल पिच पर अंतिम ओवर में 10 रन का बचाव करने का जिम्मा सौंपा गया। बाएं हाथ के इस तेज गेंदबाज ने अपने बाउंसर और यार्कर का अच्छा इस्तेमाल करके भारत को 6 रन से जीत दिलाने में अहम भूमिका निभाई। इससे भारत ने पांच मैच की श्रृंखला 4-1 से जीती।

अर्शदीप ने तीसरी गेंद पर वेड को श्रेयस अय्यर के हाथों कैच करा कर भारत को वापसी दिलाई। इस तेज गेंदबाज को लगता है कि इससे भारत का पलड़ा भारी हो गया था। उन्होंने मैच के बाद संवाददाताओं से कहा,”मुझे नहीं लगता कि परिस्थितियां गेंदबाजों के अनुकूल थी क्योंकि मैंने बहुत ढीली गेंदें की।”

अर्शदीप से पूछा गया कि जब कप्तान सूर्यकुमार यादव ने उन्हें अंतिम ओवर करने के लिए दिया तो वह कैसा महसूस कर रहे थे, उन्होंने कहा,”मैं केवल यही सोच रहा था कि मेरे पास गंवाने के लिए कुछ भी नहीं है क्योंकि मैं पहले ही काफी रन लुटा चुका था। सूर्या भाई ने भी यही बात कही कि देखते हैं क्या होता है।” उन्होंने कहा, ”मुझे लग रहा था कि मैं बाउंसर करके वेड के दिमाग में संदेह पैदा कर सकता हूं और जब मैंने उसका विकेट लिया तो मुझे विश्वास हो गया था कि हम मैं जीत सकते हैं।”

इस तेज गेंदबाज ने सूर्यकुमार यादव के नेतृत्व कौशल की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा,”सूर्या भाई हमें काफी स्वतंत्रता देते हैं। हम इस श्रृंखला में पहले बल्लेबाजों के लिए अनुकूल पिचों पर खेले हैं लेकिन वह कहते रहे कि जहां चुनौतियां हैं वहां अवसर भी जरूर होंगे।”

अर्शदीप ने कहा, ”वह हमसे कहते रहे की परिणाम को लेकर चिंता मत करो तथा प्रक्रिया पर ध्यान दो। उन्होंने हम पर कभी दबाव नहीं बनाया। उन्होंने मुझसे कहा कि डेथ ओवरों में मैं जिस तरह की गेंदबाजी करना चाहता हूं वैसे ही करूं और वह उसका पूरा समर्थन करेंगे।”

अर्शदीप ने एक सप्ताह के अंदर शुरू होने वाले दक्षिण अफ्रीका के दौरे को बारे में कहा,”हमारा ध्यान अभी वर्तमान श्रृंखला पर था। हम बहुत आगे के बारे में नहीं सोच रहे थे। एक बार जब हम वहां (दक्षिण अफ्रीका) पहुंच जाएंगे तो वहां की परिस्थितियों को देखकर ही अपनी रणनीति तय करेंगे।”