कांग्रेस ने देश के कई हिस्सों में वायु प्रदूषण की खराब स्थिति को लेकर शुक्रवार को चिंता जताई और कहा कि वायु प्रदूषण नियंत्रण कानून में व्यापक सुधार की जरूरत है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ”वायु प्रदूषण (नियंत्रण और रोकथाम) अधिनियम 1981 में अस्तित्व में आया। इसके बाद, अप्रैल 1994 में परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों की घोषणा की गई और बाद में अक्टूबर 1998 में संशोधन किया गया। नवंबर 2009 में आईआईटी कानपुर और अन्य संस्थानों द्वारा गहन समीक्षा के बाद एक अधिक कठोर और व्यापक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानक (एनएएक्यूएस) लागू किया गया था।”
रमेश ने लिखा ”एनएएक्यूएस में सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक माने जाने वाले 12 प्रदूषकों को शामिल किया गया। एनएएक्यूएस के कार्यान्वयन के साथ आए प्रेस नोट से उस समय हुए महत्वपूर्ण बदलाव की सोच का पता चलता है।”उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है जब अधिनियम और एनएएक्यूएस दोनों पर दोबारा गौर किया जाए तथा इसमें संपूर्ण सुधार किया जाए।
रमेश ने कहा, ”पिछले एक दशक और उससे भी अधिक समय में स्वास्थ्य पर वायु प्रदूषण के प्रभावों को लेकर ठोस सबूत हैं। जनवरी 2014 में वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दों पर एक विशेषज्ञ संचालन समिति की स्थापना की गई और इसने अगस्त 2015 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। तब से राष्ट्रीय हरित अधिकरण के अधिकार छीने जाने के साथ-साथ कानून और मानकों दोनों की हमारी प्रवर्तन मशीनरी में कमजोरियां सामने आईं।”
उन्होंने कहा, ”राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम बिना किसी खास प्रभाव के तेजी से आगे बढ़ रहा है। वायु प्रदूषण ज्यादातर नवंबर में सुर्खियों में आता है जब देश की राजधानी दम तोड़ देती है। लेकिन पूरे देश में यह साल भर रोजाना की पीड़ा है।”