फ़ोन में टच सैंपलिंग रेट का क्या मतलब होता है, जानिए इसके फायदे और नुकसान के बारे में

जब भी हम कोई नया Smartphone खरीदते है तो बस फोन के स्क्रीन, कैमरा, रैम और स्टोरेज जैसी चीजों पर ही ध्यान देते है. लेकिन क्या आपने कभी फोन के Touch Sampling Rate पर ध्यान दिया है? बहुत से लोग ऐसे हैं जो टच सैंपलिंग रेट के बारे में विस्तार से तो पढ़ते हैं लेकिन कोई भी इसके बारे में जानने के लिए अधिक परेशान नहीं होता. आप लोगों को ये जानकर हैरानी होगी कि जिस फीचर को आप नजरअंदाज कर देते हैं वो फीचर असल में आपके स्क्रीन में सबसे खास भूमिका निभाता है. आप भी अगर जानना चाहते हैं कि आखिर टच सैंपलिंग रेट होता क्या है और इस फीचर के क्या फायदे और नुकसान हैं तो हमारे साथ बने रहिए, आज हम आप लोगों को इन सभी सवालों के विस्तार से जवाब देने वाले हैं.

टच सैंपलिंग रेट होता क्या है?

स्मार्टफोन में टच सैंपलिंग रेट को हर्ट्ज में कैलकुलेट किया जाता है और इस फीचर का मतलब यह है कि एक सेकंड में मोबाइल की स्क्रीन कितनी बार आपके टच इनपुट को रीड करती है. आसान भाषा में अगर समझें तो टच सैंपलिंग रेट जितना ज्यादा होगा फोन का टच उतनी ही जल्दी आपके टच इनपुट को रीड कर रिस्पॉन्स बैक करेगा. हमेशा स्मार्टफोन यूजर्स Refresh Rate और टच सैंपलिंग रेट के बीच कंफ्यूज रहते हैं. लोगों को लगता है कि दोनों तो एक ही चीज हैं, बस नाम अलग-अलग हैं, लेकिन ये सच नहीं है. रिफ्रेश रेट और टच सैंपलिंग रेट दोनों का ही काम अलग-अलग है, लेकिन दोनों में एक चीज कॉमन है वह यह है कि दोनों का ही संबंध फोन के डिस्प्ले से है.

टच सैंपलिंग रेट और रिफ्रेश रेट में क्या है अंतर

टच सैंपलिंग रेट का मतलब तो आप लोगों को पता ही चल गया , आइए अब रिफ्रेश रेट के बारे में जानते हैं. रिफ्रेश रेट का मतलब यह होता है कि एक सेकंड में स्क्रीन कितनी बार रिफ्रेश होती है. फोन में नेविगेट करते समय स्मूद एक्सपीरियंस के लिए रिफ्रेश रेट का बहुत खास रोल होता है. हर स्मार्टफोन यूजर की जरूरत अलग है, अगर आप फोन चलाते समय डिस्प्ले से क्विक रिस्पॉन्स की उम्मीद करते हैं तो फिर ऐसे में आपको हाई टच सैंपलिंग रेट वाले फोन खरीदना होगा.

बाजार में मिलेंगे ये ऑप्शन्स

आप लोगों की जानकारी के लिए बता दें कि भारत में इस वक्त 60 हर्ट्ज, 90 हर्ट्ज, 120 हर्ट्ज, 144 हर्ट्ज और 165 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाले स्मार्टफोन्स बिक्री के लिए उपलब्ध हैं. वहीं, दूसरी तरफ टच सैंपलिंग रेट की बात करें तो आप लोगों को 180 हर्ट्ज, 240 हर्ट्ज और 360 हर्ट्ज सपोर्ट वाले फोन आसानी से मिल जाएंगे.

टच सैंपलिंग रेट के फायदे

हम सभी जानते है कि हर चीज के कुछ फायदे तो कुछ नुकसान भी होते हैं. आइए सबसे पहले जान लेते हैं कि टच सैंपलिंग रेट से आपको क्या फायदा हो सकते है. अगर आपने नया फोन खरीदा है जो हाई टच सैंपलिंग रेट के साथ आता है तो इससे आपको ये फायदा होगा कि आपके फोन की डिस्प्ले तेजी से आपके टच को रिस्पॉन्स करेगी और जो भी चीज आप ओपन करेंगे वो तेजी से खुल जाएगी.

टच सैंपलिंग रेट के नुकसान

हाई टच सैंपलिंग रेट और हाई रिफ्रेश रेट के अगर फायदे हैं तो कुछ नुकसान भी हैं. दोनों ही चीजें अगर हाई हैं तो इसका सीधा असर बैटरी की लाइफ पर पड़ता है. उदाहरण के लिए अगर आपने ऐसा फोन लिया जो 60 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट के साथ आता है तो आपके फोन की बैटरी लंबे समय तक साथ देगी.

वहीं, दूसरी तरफ अगर आपने ऐसा फोन खरीदा जो 144 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट के साथ आता है तो आपका फोन 60 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट वाले फोन की तुलना कम बैटरी लाइफ ऑफर करेगा.

यही चीज टच सैंपलिंग रेट के साथ भी है. 180 हर्ट्ज टच सैंपलिंग रेट वाला फोन कम बैटरी की खपत करता है लेकिन 360 हर्ट्ज टच सैंपलिंग रेट वाले फोन में बैटरी की खपत तेजी से होती है.

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