भूख हड़ताल के 5वें दिन मराठा नेता जारांगे-पाटिल की हालत बिगड़ी

छह महीने में अपनी चौथी भूख हड़ताल के पांचवें दिन मराठा शिवबा संगठन के नेता मनोज जारांगे-पाटिल की हालत बुधवार को खराब हो गई। उन्होंने यहां अपने गांव अंतरावली-सरती में दो दिनों से पानी भी नहीं पिया है।सुबह उनके समर्थकों ने कहा कि उनकी नाक से खून निकल रहा है। भूख हड़ताल की वजह से मनोज-जारांगे-पाटिल बेहद कमजोर हो चुके हैं।

उनकी संवेदनशील स्थिति का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि वो अब ठीक से बैठ भी नहीं पा रहे हैं।बता दें कि अपनी नियमित मीडिया ब्रीफ्रिंग के दौरान गांव में बने मंच पर लेटे हुए थे और उनकी स्थिति इस कदर दुर्बल हो चुकी थी कि वो पत्रकारों से ढंग से बात तक नहीं कर पा रहे थे।यही नहीं, उन्होंने किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय मदद लेने से भी साफ इनकार कर दिया। लंबे समय से भूखे रहने के बाद अब उनके नाक से खून निकलना शुरू हो चुका है, जिससे उनके समर्थकों में चिंता बढ़ गई है।

हालांकि, जालना के कलेक्टर डॉ. श्रीकृष्णनाथ पांचाल और पुलिस अधीक्षक ए.के. बंसलांग ने उनसे निवेदन किया कि वो कम से कम पानी ग्रहण कर लें, लेकिन वो लगातार मना कर रहे हैं।उन्होंने राज्य सरकार से ‘सेज-सोयारे’ (पारिवारिक वंश) पर 26 जनवरी की मसौदा अधिसूचना को औपचारिक रूप देने के लिए तुरंत एक अधिसूचना जारी करने और कुनबी-मराठों और मराठा-कुनबियों को शामिल करने के लिए ओबीसी कोटा का विस्तार करने की अपनी मांग दोहराई।

उन्होंने कहा,“मसौदा पर्याप्त नहीं है। इसे एक कानून बनाया जाना चाहिए। सरकार किसका इंतज़ार कर रही है? उन्हें अधिसूचना को कानून में बदलने के लिए तुरंत कदम उठाना चाहिए।’ यदि सरकार 15 फरवरी तक उचित कदम उठाने में विफल रहती है, तो मुझे नहीं पता कि मराठा क्या करेंगे। आप पहले ही देख चुके हैं कि पिछले महीने जब उन्होंने मुंबई की ओर मार्च किया था तो क्या हुआ था।”

उत्तेजित मराठों और स्थानीय संगठनों ने पुणे, अहमदनगर, सोलापुर, नासिक, बीड और जालना सहित राज्य के कई हिस्सों में अचानक बंद (बंद) का आह्वान किया है। शिवबा संगठन प्रमुख राज्य के निर्णय के अनुसार अपने अनिश्चितकालीन भूख अनशन पर अड़े हुए हैं। इस मुद्दे पर जल्द ही कैबिनेट की बैठक होने की उम्मीद है।