कतर ने आठ पूर्व नौसैनिकों को रिहा किया, सात भारत लौटे

कतर ने जेल में बंद भारतीय नौसेना के उन आठ पूर्व कर्मियों को रिहा कर दिया है जिन्हें कथित रूप से जासूसी के एक मामले में पिछले साल अक्टूबर में मौत की सजा सुनाई गई थी। रिहाई से 46 दिनों पहले उनकी मौत की सजा को कारावास में तब्दील किया गया था।

विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि रिहा किए गए आठ भारतीय नागरिकों में से सात भारत लौट आए हैं और देश अपने नागरिकों की रिहाई तथा उनकी घर वापसी को संभव बनाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करता है।ऐसा माना जाता है कि नौसेना के इन पूर्व कर्मियों के खिलाफ जासूसी का आरोप था। हालांकि न तो कतर के प्रशासन और न ही भारतीय अधिकारियों की तरफ से इसको सार्वजनिक किया गया कि इन लोगों के खिलाफ क्या आरोप थे।

विदेश मंत्रालय ने कहा, ”भारत सरकार कतर में हिरासत में लिए गए दहरा ग्लोबल कंपनी के लिए काम करने वाले आठ भारतीय नागरिकों की रिहाई का स्वागत करती है।”मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा, ”रिहा किए गए आठ भारतीयों में से सात भारत लौट आए हैं। हम इन नागरिकों की रिहाई और घर वापसी को संभव बनाने के लिए कतर के अमीर के फैसले की सराहना करते हैं।”

कैप्टन (सेवानिवृत्त) नवतेज गिल और सौरभ वशिष्ठ, कमांडर (सेवानिवृत्त) पूर्णेंदु तिवारी, अमित नागपाल, एसके गुप्ता, बीके वर्मा, और सुगुनाकर पकाला और नाविक (सेवानिवृत्त) रागेश को सजा सुनाई गई थी।मामले से अवगत लोगों ने कहा कि तिवारी दोहा में ही रुके हैं और उनके जल्द ही भारत वापस आने की संभावना है।नौसेना के पूर्व कर्मियों को 26 अक्टूबर को कतर की एक अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी।

खाड़ी देश की अपीलीय अदालत ने 28 दिसंबर को मृत्युदंड को कम कर दिया था और पूर्व नौसैन्य कर्मियों को अलग-अलग अवधि के लिए जेल की सजा सुनाई थी।निजी कंपनी अल दहरा के साथ काम करने वाले भारतीय नागरिकों को जासूसी के एक कथित मामले में अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था।अपीलीय अदालत ने मौत की सजा को कम करने के बाद भारतीय नागरिकों को उनकी जेल की सजा के आदेश के खिलाफ अपील करने के लिए 60 दिन का समय दिया था।

पिछले साल दिसंबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुबई में ‘कॉप 28’ शिखर सम्मेलन के मौके पर कतर के अमीर शेख तमीम बिन हम्माद अल-थानी से मुलाकात की थी और कतर में भारतीय समुदाय के कल्याण पर चर्चा की थी।यह पता चला है कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भारतीय नागरिकों की रिहाई सुनिश्चित करने में कतर के अधिकारियों के साथ बातचीत में भूमिका निभाई थी।पिछले साल 25 मार्च को भारतीय नौसेना के आठ कर्मियों के खिलाफ आरोप दाखिल किए गए थे और उन पर कतर के कानून के तहत मुकदमा चलाया गया था।

पिछले साल मई में अल-दहरा ग्लोबल ने दोहा में अपना परिचालन बंद कर दिया और वहां काम करने वाले सभी लोग (मुख्य रूप से भारतीय) देश लौट आए।भारत सजायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण पर द्विपक्षीय समझौते के प्रावधानों को लागू करने की संभावना भी विचार कर रहा था।भारत और कतर के बीच 2015 में हुए समझौते के तहत भारत तथा कतर के उन नागरिकों के अपने-अपने देश में सजा काटने का प्रावधान है जिन्हें किसी आपराधिक मामले में दोषी ठहराया गया है और सजा सुनाई गई है।