न्यूजक्लिक के एचआर हेड ने वापस ली याचिका, यूएपीए के तहत गिरफ्तारी को दी थी चुनौती

न्यूजक्लिक के मानव संसाधन (एचआर) विभाग के प्रमुख अमित चक्रवर्ती ने सोमवार को याचिका वापस ली। उन्होंने यूएपीए के तहत अपनी गिरफ्तारी को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। दिल्ली की एक अदालत ने मामले में इस महीने की शुरुआत में उनको सरकारी गवाह बनने की अनुमति दी थी। आतंकवाद रोधी कानून के तहत न्यूज पोर्टल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। पोर्टल पर आरोप है कि उसे चीन के समर्थन में प्रचार करने के लिए फंडिंग मिली थी।

न्यूजक्लिक के संस्थापक प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती की ओर से दायर अलग-अलग याचिकाएं दायर की गई थीं। जिनमें यूएपीए के तहत गिरफ्तारी को चुनौती दी गई थी। ये याचिकाएं न्यायमूर्ति बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने सुनवाई के लिए आईं। मामले में चक्रवर्ती के वकील ने पीठ से अनुरोध किया कि याचिका वापस लेने की अनुमति दी जाए। दिल्ली पुलिस की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पेश हुए। उन्होंने पीठ से कहा, ‘अगर वह याचिका को वापस लेना चाहते हैं तो उन्हें वापस लेने दें।’ पीठ ने चक्रवर्ती को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। राजू ने पीठ से कहा कि पुरकायस्थ की अन्य याचिका पर सुनवाई की जानी है। पीठ ने मामले की सुनवाई के लिए तीस जनवरी की तारीख तय की।

दिल्ली की एक अदालत ने इस महीने की शुरुआत में चक्रवर्ती को मामले में सरकारी गवाह बनने की अनुमति दी थी। चक्रवर्ती ने दावा किया था कि उनके पास मामले से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी है, जिसे वह दिल्ली पुलिस को देना चाहते हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय के 13 अक्तूबर 2023 के फैसले को चुनौती देने वाली पुरकायस्थ और चक्रवर्ती की याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने 19 अक्तूबर को दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा था। उच्च न्यायालय ने मामले में गिरफ्तारी और बाद में पुलिस रिमांड के खिलाफ उनकी याचिकाओं को खारिज कर दिया था।

दोनों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पिछले साल तीन अक्तूबर को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्होंने गिरफ्तारी के साथ-साथ सात दिन की पुलिस हिरासत को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था। दोनों ने अंतरिम राहत के तौर पर तत्काल रिहाई की मांग की थी। हालांकि, उच्च न्यायालय ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि उनकी गिरफ्तारी की प्रक्रिया में कोई गलती या यूएपीए के प्रावधानों का उल्लंघन नहीं हुआ है।