एफएसएसएआई का दावा, मसालों में कीटनाशकों से जुड़ी सभी खबरें झूठी और बेबुनियाद

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण द्वारा पेस्टीसाइड की खबर को लेकर सफाई दी है जिसने उन्होंने बताया की हाल ही में 10 गुना ज्यादा पेस्टीसाइड को मंजूरी देने की खबर काफी चर्चा में छाई हुई थी इस बात पर सफाई जारी की है इससे जुड़ी सभी रिपोर्ट्स को निराधार बताया है और यह भी दावा किया है की भारतीय फूड कंट्रोलर के द्वारा जड़ी-बूटियों और मसालों में तय मानक सीमा से 10 गुना अधिक कीटनाशक को मिलाने की मंजूरी दी है।

एफएसएसएआई ने केवल एक कीटनाशक के लिए बढ़ाई थी लिमिट। एफएसएसएआई ने यह बात माना है कि जो कीटनाशक भारत में Central Pesticide Board और रजिस्ट्रेशन कमेटी से पंजीकृत नहीं हैं। उन्ही कीटनाशक के लिए यह limit 0.01 mg/kg से 10 गुना बढ़ाकर 0.1 mg/kg कर दी गई थी और यह सबकुछ वैज्ञानिक पैनल की advice पर ही किया गया था।

एफएसएसएआई ने बताया की हम सभी वैज्ञानिक आंकड़ों को आधार बनाकर ही काम करते है इस के आधार पर एमआरएल को नियमित रूप से परिवर्तित होते रहते हैं। यह प्रोसेस वैश्विक मानकों के अनुरूप ही कार्य करती है और साथ ही यह भी सुनिश्चित करता है कि एमआरएल एमआरआई जो भी संशोधन हो वो वैज्ञानिक रूप से मान्य आधार पर ही लिए गए हो,जो नवीनतम निष्कर्षों को भी अवश्य दर्शाते हैं।

एक प्रेस जारी कर भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण ने कहा कि यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत में अधिकतम अवशेष सीमा (MRL) यानी कीटनाशक मिलाने की सीमा दुनियाभर में सबसे कड़े मानकों में से एक है। वहीं कीटनाशकों के एमआरएल उनके खतरे के आकलन के आधार पर खाने की अलग-अलग चीजों के लिए अलग-अलग तय किए जाते है।

एफएससएएआई ने बताया की भारत में कीटनाशकों को कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय की तरफ से कीटनाशक अधिनियम, 1968 के तहत बनाई गई  सीआईबी और आरसी के माध्यम से रेगुलेट किया जाता है। सीआईबी और आरसी कीटनाशकों की जो भी मैन्युफैक्चरिंग से लाकर आयात हो या फिर निर्यात, ट्रांसपोर्ट, स्टोरेज की प्रक्रिया आदि को रेगूलेट करते हैं।

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