संस्कृति विश्वविद्यालय के कैंपस-2 में स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर द्वारा राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस पर शनिवार एक जागरूकता अभियान चलाया गया। विश्वविद्यालय में अनेक कार्यक्रमों के साथ पौधरोपण भी किया गया।
संस्कृति विवि के कैंपस-2 के सभागार में आयोजित संगोष्ठी में स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर के डीन डॉ. कंचन कुमार सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि राष्ट्रीय प्रदूषण नियंत्रण दिवस को 2 दिसंबर को 1984 में हुई भोपाल गैस त्रासदी में जान गंवाने वाले लोगों की याद में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि भोपाल में हुई ये गैस त्रासदी इतिहास की सबसे घातक औद्यौगिक प्रदूषण आपदाओं में से एक है।
ये दिन पर्यावरण प्रदूषण के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलाने और उद्योगों को प्रदूषण नियंत्रण को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य किसी भी औद्यौगिक आपदा को रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना भी है। एक आंकड़े के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कारण अकेले भारत में प्रति वर्ष लगभग 70 लाख लोगों को अपनी जान से हाथ गंवाना पड़ता है। वहीं, रिपोर्ट बताती है कि 10 में 9 लोग ऐसे हैं, जिन्हें स्वच्छ हवा नहीं मिल पाती है।
कार्यक्रम में मौजूद संस्कृति स्कूल आफ एग्रीकल्चर के विभागाध्यक्ष डॉ. संजीव कुमार सिंह नेकहा कि नगरीय विकास के कारण अक्सर सबसे ज्यादा क्षति वृक्षों की हुई है। ऐसे में यदि हमने पौधरोपण पर गंभीरता से ध्यान न दिया तो आने वाले समय में सांस लेना भी मुश्किल होगा। प्रदूषण के निवारण में वृक्षों के योगदान को आज सभी जानते हैं, इसलिए हमें वृक्षों की सुरक्षा और उनकी संख्या बढ़ाने के कार्यक्रम युद्ध स्तर चलाने होंगे।
संगोष्ठी में डॉ. कमल पांडे, डॉ. सुदीपा मल, डॉ. सतीश चंद्र, डॉ. नीरज, डॉ. आकाश शुक्ला, डॉ दिजेंद्र कुमार, डा. हर्ष, डा. कुरेंद्र, डा. एम मिश्रा, डा. गौतम पाल के अलावा अनेक विद्यार्थी मौजूद थे। इस मौके पर विद्यार्थियों ने अपने प्रोजेक्टों के द्वारा प्रदूषण के दुष्प्रभाव और वृक्षों के द्वारा प्रदूषण पर नियंत्रण को समझाया। प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता के माध्यम से विषय संबंधी जागरूकता भी प्रदान की गई।