मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) उभरती बाजार परिस्थितियों के हिसाब से अपनी उत्पादन प्रक्रियाओं में अधिक ‘लचीलापन’ लाना चाहती है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है।देश की सबसे बड़ी कार कंपनी प्रवेश स्तर की कारों के उत्पादन में कटौती करते हुए अधिक बिकने वाले यूटिलिटी वाहनों का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दे रही है।मारुति सुजुकी इंडिया (एमएसआई) उभरती बाजार परिस्थितियों के हिसाब से अपनी उत्पादन प्रक्रियाओं में अधिक ‘लचीलापन’ लाना चाहती है। कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह बात कही है।
देश की सबसे बड़ी कार कंपनी प्रवेश स्तर की कारों के उत्पादन में कटौती करते हुए अधिक बिकने वाले यूटिलिटी वाहनों का उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दे रही है।मारुति सुजुकी इंडिया के कॉरपोरेट मामलों के कार्यकारी अधिकारी राहुल भारती ने एक विश्लेषक कॉल में कहा, ‘‘उपयोगिता (यूटिलिटी) और छोटी कार खंड के बीच मांग में अंतर जारी है। कंपनी बाजार की बढ़ती मांग के अनुरूप वाहनों का उत्पादन करने के लिए परिचालन में लचीलेपन को बढ़ाने पर काम कर रही है।’’
उन्होंने कहा कि कंपनी के मार्जिन में हालिया गिरावट की वजह यह रही है कि वह कुछ कम बिकने वाली कारों का उत्पादन कर रही है।भारती ने कहा कि जिन कारों की मांग है, हमारे पास उनके उत्पादन के लिए पर्याप्त क्षमता नहीं है। यदि हमारे पास दोनों में लचीलापन होता, चाहे वह सेमीकंडक्टर आपूर्ति हो या घरेलू उत्पादन, तो शायद हमारे समक्ष ऐसी समस्या नहीं आती।’’एमएसआई के हरियाणा और गुजरात संयंत्रों की सालाना स्थापित क्षमता फिलहाल 23 लाख इकाई की है। भारती ने कहा कि इस पहल की लागत काफी छोटी होती है।
प्रवेश स्तर की कारों की बिक्री में गिरावट के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में नियामकीय नियम गहन होने के साथ ऐसी कारों के अधिग्रहण की लागत बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘‘इस खंड में ग्राहकों की आय में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि देर-सवेर उनकी आय बढ़ेगी और छोटी कारों का बाजार फिर खड़ा हो सकेगा।’’
भारती ने बताया कि पहली बार कार खरीदने वालों की संख्या में भी कमी आई है।उन्होंने कहा, ‘‘‘बाजार से हमारे पास पहली बार के खरीदारों की संख्या में करीब 10 प्रतिशत की कमी आई है। हमारा मानना है कि इस खंड की आबादी की आमदनी लागत के साथ-साथ बढ़ती है और नियामकीय नियम और गहन नहीं होते हैं, तो किसी समय यह खंड फिर खड़ा होगा।’’
वाहन विनिर्माताओं के संगठन सियाम के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारत में प्रवेश स्तर की कारों की थोक बिक्री घटकर 35,000 इकाई रह गई है। जुलाई-सितंबर, 2018-19 में यह 1.38 लाख कारों के उच्चस्तर पर थीं।निर्यात संबंधी सवाल पर भारती ने कहा कि आगे चलकर कंपनी का अपना तीन गुना करने का लक्ष्य है। कंपनी का लक्ष्य 2030-31 तक निर्यात को 7.5 से आठ लाख इकाई पर पहुंचाने का है। हालांकि, मारुति देश की सबसे बड़ी कार निर्यातक बनी हुई है।