अस्वस्थ जीवनशैली, व्यायाम की कमी, खान-पान की गलत आदतों के साथ-साथ आपके सोने का तरीका भी मधुमेह को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नींद की कमी का असर शरीर में ग्लूकोज लेवल पर भी पड़ता है। भले ही लोग पर्याप्त और गहरी नींद को बहुत महत्वपूर्ण नहीं मानते, लेकिन असल में इसका सीधा संबंध आपकी सेहत से है। यह आपके रक्त शर्करा, हार्मोन, भूख और चयापचय को प्रभावित करता है।
नींद के पैटर्न को समझें
शोध से पता चला है कि कम नींद के कारण शरीर इंसुलिन को ठीक से संभाल नहीं पाता है। जिसके कारण इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ जाता है। इससे आपका ब्लड शुगर हाई हो सकता है जिससे मधुमेह अनियंत्रित हो जाता है।शोध बताते हैं कि सिर्फ पर्याप्त नींद ही जरूरी नहीं है। इसके साथ उसकी गुणवत्ता भी मायने रखती है, खासतौर पर टाइप-2 डायबिटीज से पीड़ित लोगों का मेटाबॉलिज्म इससे प्रभावित होता है। विशेषज्ञों के अनुसार टाइप-2 डायबिटीज के लिए कम देर तक सोने के साथ ही ज्यादा देर तक सोना भी खतरनाक है। लंबी और छोटी दोनों की अवधियां डायबिटीज का जोखिम बढ़ा देती हैं।
जानिए क्या है नींद और ब्लड शुगर का कनेक्शन
नींद और ब्लड शुगर के उतार चढ़ाव में क्या कनेक्शन है और यह आपको किस तरह से प्रभावित कर सकते हैं, ये जानना आपके लिए बेहद जरूरी है।
गड़बड़ कर सकता है हार्मोनल बैलेंस
बहुत कम लोग जानते हैं कि नींद की कमी के कारण शरीर में हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है। अपर्याप्त नींद से भूख और मेटाबॉलिज्म दोनों पर असर पड़ता है। ऐसे में कोर्टिसोल, लेप्टिन और घ्रेलिन जैसे हार्मोन का बैलेंस बिगड़ जाता है। कोर्टिसोल बढ़ने से टेंशन भी बढ़ती है। इससे ग्लुकोनियोजेनेसिस को बढ़ावा मिलता है, जिससे पैंक्रियाज ज्यादा ग्लूकोज बनाता है और ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।
1. कम हो जाती है ग्लूकोज टॉलरेंस- शोध बताते हैं कि कम नींद ग्लूकोज टॉलरेंस को प्रभावित करती है। जिसके कारण शरीर ब्लड शुगर को कंट्रोल नहीं कर पाता। ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म पर भी इसका असर पड़ता है। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है।
2.बढ़ सकती है इंसुलिन रेजिस्टेंस- कम नींद के कारण इंसुलिन रेजिस्टेंस की समस्या बढ़ सकती है। दरअसल, पर्याप्त नींद नहीं लेने से शरीर प्रभावी ढंग से इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता है। ब्लड शुगर लेवल को ठीक रखने के साथ ही इंसुलिन ग्लूकोज को कोशिकाओं तक भी पहुंचाता है, जिससे शरीर को एनर्जी मिलती है। जब आप कम नींद लेते हैं तो इंसुलिन रेजिस्टेंस की स्थिति पैदा हो जाती है। जिससे कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम एक्टिव हो जाती हैं। ऐसे में ग्लूकोज ब्लड स्ट्रीम में ही रह जाता है और ब्लड शुगर लेवल बढ़ने लगता है।
3. गड़बड़ कर सकता है हार्मोनल बैलेंस- बहुत कम लोग जानते हैं कि नींद की कमी के कारण शरीर में हार्मोन्स का बैलेंस बिगड़ जाता है। अपर्याप्त नींद से भूख और मेटाबॉलिज्म दोनों पर असर पड़ता है। ऐसे में कोर्टिसोल, लेप्टिन और घ्रेलिन जैसे हार्मोन का बैलेंस बिगड़ जाता है। कोर्टिसोल बढ़ने से टेंशन भी बढ़ती है। इससे ग्लुकोनियोजेनेसिस को बढ़ावा मिलता है, जिससे पैंक्रियाज ज्यादा ग्लूकोज बनाता है और ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है।
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