जानिए,क्या होता है दही जमाने का सही तरीका… अगर रात में ये काम कर देंगे तो फायदे भी हो जाएंगे दोगुने

भारतीय ग्रामीण क्षेत्रों में दही को मिट्टी के बर्तनों में जमाना बहुत ही पुरानी परंपरा रही है. यहां कुम्हार मिट्टी के बर्तन हाथों से बनाते थे. जिसमें दही जमाया जाता था. लेकिन यह परंपरा अब धीरे -धीरे खत्म होती जा रही है. लेकिन मिट्टी के मटके या कुल्लड में जमे दही खानें का मजा ही कुछ और होत . मिट्टी के बर्तनों में जमा दही अपनी विशिष्ट गंध और स्वाद के लिए जाना जाता है. मिट्टी में मौजूद खनिज तत्व दही को एक स्वाद देता है. मिट्टी हमेशा ठंडी रहती है जिससे दही काफी देर तक ठंडा और कसावट वाला बना रहता है. और यह दही खानें में जीतना ज्यादा लजीज होता है उतना ही फायदेमंद भी, आइए जानते हें मिट्टी के बर्तनों में जमे दही के फायदे…

स्वाद
मिट्टी के बर्तनों में जमे दही का स्वाद अनूठा होता है, और इसमें मिट्टी की गंध का प्रभाव होता है, जिससे दही का स्वाद और गंध बहुत ही अच्छा होता है.

मिनरल
मिट्टी में आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे महत्वपूर्ण खनिज पाए जाते हैं. जब हम दही को मिट्टी के बर्तनों में जमाते हैं, तो ये खनिज मिट्टी से दही में स्थानांतरित हो जाते हैं.इससे दही में आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम की मात्रा बढ़ जाती है जो हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी होते हैं. ये दही को और भी पौष्टिक बना देते हैं और हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होते हैं.

एल्कलाइन
मिट्टी में स्वाभाविक रूप से पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम जैसे एल्कलाइन तत्व पाए जाते हैं. जब दही को मिट्टी के बर्तन में जमाया जाता है, तो ये एल्कलाइन तत्व मिट्टी से दही में ट्रांसफर हो जाते हैं.ये एल्कलाइन तत्व शरीर के pH लेवल को बैलेंस करने में मदद करते हैं और कई तरह के रोगों से लड़ने की क्षमता को बढ़ाते हैं.

प्रोबायोटिक
मिट्टी में कई प्रकार के प्रोबायोटिक बैक्टीरिया पाए जाते हैं. जब हम दही को मिट्टी के बर्तन में जमाते हैं, तो ये प्रोबायोटिक्स मिट्टी से दही में स्थानांतरित हो जाते हैं.प्रोबायोटिक्स हमारे पाचन तंत्र के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं. ये हमारे आंतों में स्वस्थ बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं और पाचन क्रिया को बेहतर बनाते हैं.

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