जानिए, नवजात शिशु को शहद देना है कितना सही

घर में अगर बच्चे न हो तो घर सुना सा लगता है। बच्चे की किलकारी हर किसी को अच्छी लगती है। अपने नवजात बच्चे को सेहतमंद बनाने के लिए लोग कई तरह के उपाय अपनाते हैं। इन्हीं उपायों में से एक है, बच्चे को जन्म के बाद शहर चटाना। पहले के टाइम में अक्सर बच्चे के जन्म के बाद दादी-नानी उन्हें शहद चटाती थीं। यह तरीका धीरे-धीरे बहुत ही प्रचलित होता गया और अभी भी कई लोग अपने नवजात शिशुओं को शहद देने से पीछे नहीं हटते हैं।

हालांकि, 12 महीने से कम उम्र के शिशु को शहद देना कितना सही है, इस बारे में शायद ही किसी ने जानने की कोशिश की होगी।

सच्चाई यह है कि 12 महीने से छोटे बच्चों को शहद देना बिल्कुल सही नहीं है। 12 महीने से कम उम्र के बच्चों को शहद देने के नकारात्मक परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जो नवजात शिशुओं के लिए शहद को सही मानते हैं, तो जानें इसके कुछ दुष्परिणामों के बारे में-

नवजात को नहीं दें शहद:-

शहद में एक बैक्टीरिया के स्पोर मौजूद होते हैं, जिसे क्लोस्ट्रीडियम बोट्यूलिनम कहते हैं। यह बैक्टीरिया मिट्टी में पाए जाते हैं और मधुमक्खी इसे अपने छत्ते तक ले आती है। इस बैक्टीरिया से एक गंभीर बीमारी हो सकती है, जिसे बोट्यूलिज्म कहते हैं। खास तौर से बच्चों में इंफैंटाइल बोट्यूलिज्म होना बहुत आम है। साल भर से छोटे बच्चों के गट में इन स्पोर्स से बचाव करने के लिए गुड बैक्टीरिया मौजूद नहीं होते हैं, जिससे बच्चा बहुत अधिक बीमार पड़ सकता है।ध्यान दें कि शहद किसी भी रूप में हो, इसे एक साल से छोटे बच्चों को देने से बचना चाहिए

बोट्यूलिज्म के क्या है लक्षण

कब्ज
पलकें झपकाना
सांस लेने में समस्या
लार का टपकना
कमज़ोरी होना
बिना कारण रोना
थकान होना
चिड़चिड़ापन होना
खाने में दिक्कत होना
निगलने में दिक्कत होना
चेहरे के एक्सप्रेशन का खत्म होना होना

यह भी रखें ध्यान:-

इस प्रकार का अगर कोई भी लक्षण दिखाई दे तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। यूरीन टेस्ट से इसका परीक्षण किया जाता है। बीमारी सुनिश्चित होने के बाद बच्चे को हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ सकता है। डॉक्टर शिशु बोटुलिज्म का इलाज बोटुलिज्म इम्यून ग्लोब्युलिन इंट्रावेनस नाम के एंटीटॉक्सिन से करते हैं। बीमारी की गंभीर बढ़ने पर आईसीयू की आवश्यकता भी पड़ सकती है।

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