कैंसर इतनी ज्यादा खतरनाक बीमारी है कि इसे अक्सर साइलेंट किलर माना जाता है. इसके शुरुआती लक्षण तो एकदम नही दिखते लेकिन जब यह एकदम ऐसी स्थिति में पहुंच जाता है कि अब इसका कोई इलाज नहीं हो सकता है. तब जाकर इस जानलेवा बीमारी के बारे में पता चलता है. कोलोरेक्टल कैंसर आंत में होने वाले कैंसर को कहते हैं. आंत में होने वाले बदलाव, पेट में दर्द और एनस से खून निकलना इस कैंसर के शुरुआती लक्षण है.
अक्सर हम रोजमर्रा की जिंदगी में होने वाले लक्षण को मामूली समझकर इग्नोर कर देते हैं लेकिन आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह छोटे दिखाई देने वाले लक्षण बड़ी बीमारी के शुरुआती संकेत हो सकते हैं. जैसे- आंत में हमेशा गड़बड़ी, बवासीर, आंत में सूजन, आंत की बीमारी, बहुत ज्यादा गैस होना. अब सवाल यह है कि कैंसर के लक्षण है या बस ऐसे ही खानपान और लाइफस्टाइल की वजह से गड़बड़ी हो रही है. कैसे दोनों में फर्क करें.
इंग्लिश पॉर्टल ‘ओनली माई हेल्थ’ में छपी खबर के मुताबिक कोलोरेक्टल कैंसर एक प्रकार का कैंसर है जो कोलन में होता है, जो बड़ी आंत या मलाशय में होता है. यह आमतौर पर पॉलीप में होता है. जो नॉन-कैंसरस हो सकता है. एक वक्त के बाद यह कैंसर के रूप में फैल जाता है. अगर समय पर इलाज न किया जाए तो कैंसर के सेल्स पूरे शरीर में फैलने लगते हैं.
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक (डब्ल्यूएचओ) साल 2020 में दुनिया भर में कोलोरेक्टल कैंसर के 10 लाख से अधिक नए मामले और 9.3 लाख से अधिक कोलोरेक्टल कैंसर से मौतें हुए हैं. आईसीएमआर का कहना है कि भारत में पुरुषों में कोलन कैंसर और रेक्टल कैंसर के केसेस प्रति 100000 पर 4.4 और 4.1 है. उन्होंने आगे कहा, “महिलाओं में कोलन कैंसर के लिए एएआर 3.9 है. प्रति 100000. पुरुषों में कोलन कैंसर 8वें और रेक्टल कैंसर 9वें स्थान पर है.
नॉर्मल गैस और कोलोरेक्टल कैंसर में क्या है फर्क
कोलोरेक्टल कैंसर एक ऐसी बीमारी है जो ज्यादातर 50 साल से अधिक उम्र के लोगों को प्रभावित करती है. हालांकि अब युवाओं में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है. कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण शुरुआत में दिखाई नहीं देते हैं. जीआई बीमारी आम तौर पर शुरुआती दौर में ही लक्षणों के साथ सामने आते हैं. क्रोहन की बीमारी और अल्सरेटिव कोलाइटिस सहित आईबीडी लोगों को उनके बचपन के दौरान प्रभावित कर सकता है. जैसे दस्त, मलाशय से खून और वजन घटना आम बात है. आईबीडी में भी गैस काफी ज्यादा होता है लेकिन कैंसर में पेट भरा-भरा लगता है.
आईबीएस में दस्त और सफेद म्यूकोइड जैसा लीक्विड निकलता है जो कोलोरेक्टल कैंसर में नहीं देखा जाता है. यह आम तौर पर मलाशय से खून के साथ मौजूद नहीं होता है, लेकिन ऐंठन और दर्द हो सकता है. बवासीर में शौच के दौरान बिना दर्द के ब्लड निकल सकता है.
कोलोरेक्टल कैंसर के लक्षण
मलाशय से खून निकलना
मल की स्थिरता और प्रकार में कोई भी परिवर्तन
बारी-बारी से दस्त और कब्ज
मल त्यागने के बाद भी आंत का भरा होना
पेट में ऐंठन/दर्द
वजन घटना
सुस्ती और थकान
लक्षण लगातार बने रहना, ठीक न होना या बिगड़ना
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