शुद्ध यानी देसी घी हमेशा से ही हमारे स्वास्थ के लिए फायदेमंद रहा है। देसी घी में सबसे आम हैं गाय का पीला घी और भैंस के दूध से बना सफेद घी। लगभग इन दो प्रकार के देसी घी का उपयोग हर घर में किया जाता है। ज्यादातर लोग इसके फायदों को लेकर परेशान रहते हैं। ऐसे में हम आपको बता दे कि यह दोनों प्रकार के घी हेल्थ के लिए अलग-अलग रूप से फायदेमंद होते हैं। वहीं कुछ लोग हमेशा यह सवाल पूछा करते हैं, कि यदि दोनों घी सामान्य रूप से फायदेमंद हैं, तो आखिर किस घी का सेवन करें? तो आइये जानते है इसके बारे में विस्तार से।
यदि आपके अपने शरीर का वजन बढ़ाने की जरूरत है, तो आपको फैट से भरपूर सफेद घी यानि भैंस के घी का सेवन करना चाहिए और यदि घटाने की जरूरत है, तो गाय के दूध से बना पीले रंग का घी आपके लिए सही होगा। इसी प्रकार इसके अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हैं जिनमें यह दोनों घी अलग-अलग तरह से फायदेमंद हैं।
गाय के घी के कुछ महत्वपूर्ण फायदे
वजन कम करने में मददगार :-
भैंस के घी की तुलना में गाय के घी में फैट की मात्रा बहुत कम होती है। ऐसे में इसका सेवन करने से आपका वजन संतुलित रहता है। यदि आप वजन कम करने की डाइट पर हैं, तो आप इसे निश्चिंत होकर अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं।
घी है मेमोरी बूस्टर फूड :-
घी को मेमोरी बूस्टर फूड भी कहा जाता हैं। यह मेंटल हेल्थ से जुड़ी परेशानी को दूर करने में फायदेमंद होता है। वहीं शुद्ध देसी घी का उपयोग याददाश्त को लंबे समय तक बनाए रखता है। वहीं ब्रेन फंक्शन को मजबूत बनाता है।
पाचन क्रिया में फायदेमंद :-
सफेद घी कई तरह की प्रॉब्लम में फायदेमंद होता है। लेकिन इसे डाइजेस्ट कर पाना थोड़ा कठिन है। वहीं पीले घी का सेवन आपकी पाचन क्रिया के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है।
सफेद घी यानी की भैंस के घी के फायदे
वजन बढ़ाने का एक हेल्दी विकल्प है भैंस का घी :-
पीले घी की तुलना में सफेद घी में अधिक मात्रा में फैट होता है। ऐसे में यदि किसी व्यक्ति का वजन बहुत कम है, तो वह वजन बढ़ाने के लिए इसका सेवन कर सकते हैं।
नींद की गुणवत्ता को बढ़ाये :-
सफेद घी नींद की गुणवत्ता को बढ़ाता है और इनसोम्निया जैसी गंभीर प्रॉब्लम से छुटकारा दिलाने में फायदेमंद होता है।
सर्दी-खांसी के संक्रमण से बचाये :-
भैंस के घी का उपयोग सर्दी-खांसी के संक्रमण में फायदेमंद होता है। साथ ही यह कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित रखने में हेल्प करता है। ऐसे में दिल से जुड़ी प्रॉब्लम होने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
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