श्वेतपत्र की तुलना ब्लैक पेपर से करने पर कितना प्रभाव पडे़गा लोकसभा चुनाव पर?

लोकसभा चुनाव के पहले ही सरकार और विपक्ष के तेवर आक्रामक हो चले है। मोदी सरकार श्वेत पत्र के जरिए यूपीए सरकार के कार्यकाल का काला चिट्ठा खोलने की तैयारी में है। कांग्रेस ने इसका विरोध शुरू कर दिया है। मोदी सरकार के श्वेत पत्र के जवाब में कांग्रेस ने ब्लैक पेपर लाने की बात कही है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी के नेताओं के साथ 10 साल अन्याय काल के नाम से ब्लैक पेपर का पोस्टर जारी किया।

8 फ़रवरी को ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2014 के पहले की भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ा श्वेत पत्र पेश किया, जिसमें यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन के बारे में बताया गया। श्वेत पत्र में बताया गया है कि तत्कालीन सरकार आर्थिक क्रियाकलापों को सुचारू रूप से चलाने में विफल रही। उसकी जगह पर सरकार की ओर से लिए गए निर्णय देश को और पीछे की ओर ले गए। इसमें यूपीए सरकार पर एक बड़ा आरोप लगाया गया कि यूपीए काल के शासक न केवल अर्थव्यवस्था में गतिशीलता लाने में विफल रहे, बल्कि उन्होंने अर्थव्यवस्था को इस तरह लूटा कि हमारे उद्योगपतियों ने रिकॉर्ड पर कहा कि वे भारत के बजाय विदेश में निवेश करना पसंद करेंगे।

इस श्वेत पत्र में यूपीए के दस साल बनाम एनडीए के दस साल की तुलना की गई है और कहा गया कि तब, हम ‘नाज़ुक पांच’ अर्थव्यवस्थाओं में से एक थे। अब, हम ‘शीर्ष पांच’ अर्थव्यवस्थाओं में से एक हैं। केंद्र सरकार ने इस तरह आर्थिक फैसलों में पिछली सरकार से ज्यादा अंक लेने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस इससे पहले ही 10 साल, अन्याय काल शीर्षक से ब्लैक पेपर लाकर बढ़त बनाती दिखी। अपने 10 वर्षों में तमाम तरह के मोर्चों पर नाकाम रही मोदी सरकार के पास पुरानी कांग्रेस को कोसने और उसकी कमियाँ दिखाने के अलावा शायद कोई और चारा ही नहीं बचा है। देश ने पूरे एक दशक तक प्रधानमंत्री मोदी को संसद के दोनों सदनों में और चुनावी-गैर चुनावी दोनों ही मंचों से कांग्रेस, नेहरू परिवार तथा यूपीए के कामों की आलोचना करते हुए देखा-सुना है।

यह भी विसंगति है कि एक ओर तो उनकी सरकार डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल को लेकर श्वेत पत्र ले आई, वहीं दूसरी ओर श्री मोदी उन्हीं मनमोहन सिंह के योगदान की 8 फरवरी को आत्मीयता से तारीफ़ें कर रहे थे। यह अवसर था राज्यसभा के 56 सदस्यों की सेवानिवृत्ति होने का, जिनमें डॉ.मनमोहन सिंह भी शामिल थे। श्री मोदी का कहना था कि डॉ. मनमोहन सिंह ने अपने संसदीय कार्यकाल में प्रधानमंत्री से लेकर सदन में विपक्षी दल के नेता के रूप में अपने अमूल्य विचारों से चर्चाओं को समृद्ध किया है। उन्होंने इस बात का विशेष उल्लेख किया कि संख्या बल के आधार पर उनके दल की पराजय को जानते हुए भी वे (सिंह) व्हीलचेयर पर बैठकर वोट करने आये थे। श्री मोदी के अनुसार ‘वे किसी पार्टी को नहीं बल्कि लोकतंत्र को मजबूत करने आये थे।’ यह अलग बात है कि जिस अवसर का श्री मोदी सन्दर्भ दे रहे थे, वह उनके ख़िलाफ़ पिछले एक सत्र में विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव था।

यह भी नहीं भूलना चाहिये कि मनमोहन सिंह की जिस बात के लिये नरेन्द्र मोदी प्रशंसा कर रहे हैं उसे लेकर सोशल मीडिया में भाजपा समर्थकों ने खिल्ली उड़ाई थी। वैसे यह भी कौन भूल सकता है कि इन्हीं डॉ. मनमोहन सिंह को लेकर स्वयं श्री मोदी ने अनेक अभद्र टिप्पणियाँ की थीं। इनमें ‘रेनकोट पहनकर नहाने’ वाली बात का तो अब तक उल्लेख होता है। इसी यूपीए सरकार एवं मनमोहन सिंह के खिलाफ तथ्यहीन किस्से गढ़ कर मोदी-भाजपा सत्तानशीं हुए हैं, जिनका सच कालांतर में उजागर होता गया है। आत्ममुग्ध व गहन असुरक्षा के भावों से ग्रस्त मोदी सरकार ने यूपीए सरकार पर श्वेत पत्र में महंगाई, घोटालों और विकास को लेकर जो तथ्य दिए हैं, उनमें एक बार फिर देश को गुमराह करने का खेल नज़र आ रहा है।

वहीं कांग्रेस द्वारा जारी किये गये ब्लैक पेपर में मोदी कार्यकाल में महंगाई, बेरोजगारी, किसानों, मजदूरों व महिलाओं की बदहाली का तो ज़िक्र है ही, साथ ही यह बतलाया गया है कि श्री मोदी अपनी विफलताओं को छिपाते हैं तथा कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों की उपलब्धियों को नकारते हैं। ब्लैक पेपर में बताया गया है कि किस प्रकार से प्रधानमंत्री मोदी अपने मित्रों को फ़ायदा दिलाते हैं। इसमें देशवासियों का इस ओर भी ध्यान दिलाया गया है कि श्री मोदी ने हर वर्ष 2 करोड़ लोगों को नौकरियाँ देने तथा 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने का वायदा किया था। मनरेगा का पैसा हितग्राहियों तक न पहुंचने का भी ब्लैक पेपर में उल्लेख है। कांग्रेस ने बतलाया है कि 10 वर्षों में भाजपा ने विपक्ष के 411 विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल किया है। गैर- भाजपाई राज्यों के साथ मोदी सरकार द्वारा किये जाने वाले भेदभाव को भी इसमें प्रमुखता से उजागर किया गया है।

इसके पहले कि भारतीय जनता पार्टी की केन्द्र सरकार संसद में संयुक्त प्रगतिशील मोर्चा (यूपीए) सरकार के 2004 से 2014 तक चले डॉ. मनमोहन सिंह के दो कार्यकाल के कामकाज को लेकर श्वेत पत्र लेकर आती, कांग्रेस ने एक बड़ा दांव खेलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के 10 साल के कामों पर आधारित ब्लैक पेपर जारी कर दिया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी को बजट पेश करते हुए कहा था कि यूपीए की सरकार के कारण देश को जो नुकसान हुआ था, उससे अब वह मोदी सरकार के कामों के बूते उबर चुका है। हालांकि इसका अंदाजा सभी को था कि अगले तीन माह के भीतर होने जा रहे लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र भाजपा सरकार ऐसा करने जा रही है, परन्तु भाजपा को आभास नहीं रहा होगा कि कांग्रेस उससे अधिक फुर्ती से उसी के ख़िलाफ़ ब्लैक पेपर लेकर आ जायेगी।

भाजपा के श्वेत पत्र और कांग्रेस के ब्लैक पेपर से देश के चुनावी माहौल में गर्मी और बढ़ गई है। जब दोनों दल चुनाव प्रचार के लिए तैयार होंगे, तब किसके पेपर का असर जनता पर होगा, ये देखना दिलचस्प होगा। वैसे बेहतर होता अगर दस साल पहले के कामों में खामियां निकालने की बजाय मोदीजी ईमानदारी से बतलाते कि उनकी अपनी उपलब्धियाँ क्या रही हैं?

रुपेश रॉय
राजनीति विज्ञान विभाग
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा