टाइफाइड बुखार के लिए घरेलू और प्राकृतिक उपचार जानिए

टाइफाइड (typhoid) साल्मोनेला बैक्टीरिया से फैलने वाली एक बहुत ही खतरनाक बिमारी है। टाइफाइड पाचन-तंत्र और ब्लडस्ट्रीम में बैक्टीरिया के इंफेक्शन की वजह से होता है। गंदे पानी, संक्रमित जूस या पेय के साथ साल्मोनेला बैक्टीरिया शरीर के अन्दर प्रवेश कर जाता है। बैक्टीरिया के शरीर में घुसने के बाद टाइफाइड के लक्षण महसूस होने लगते हैं। रोगी को टाइफाइड में कमजोरी महसूस होने लगती है। क्या आप जानते हैं कि टाइफाइड किस-किस कारण से हो सकता है। टाइफाइड होने पर कौन-कौन से लक्षण महसूस होते हैं, टाइफाइड में क्या परहेज करना जरूरी होता है, और टाइफाइड के उपचार (typhoid ka ilaj) के लिए क्या-क्या करना है।आज हम आपको बताएंगे टाइफाइड क्या है,कारण, लक्षण और उपाय।

टाइफाइड बुखार का इलाज केवल एक ही आहार या पदार्थ से नहीं होता है, बल्कि इसका सही और पूरी तरह से उपचार डॉक्टर की सलाह और निर्देशन के साथ होता है। अंजीर एक प्राकृतिक खाद्य पदार्थ है जिसमें पोषण और ऊर्जा की अच्छी मात्रा होती है, लेकिन यह टाइफाइड बुखार का उपचार करने के लिए पूरी तरह से पर्याप्त नहीं है।

टाइफाइड क्या है? (What is Typhoid in Hindi)
आमतौर पर प्रदूषित पानी पीना व संक्रमित और बासी भोजन का सेवन करना टाइफाइड होने की मुख्य वजह है। वात, पित्त, कफ तीनों दोषों के प्रकोप से टाइफाइड होता है। टाइफाइड एक संक्रामक रोग है। इसी कारण घर में किसी एक सदस्य को टाइफाइड होने पर घर के अन्य सदस्यों से भी इसके होने से खतरा होता है। मौसम में बदलाव और कुछ गलत आदतों के कारण इस बुखार के वायरस बहुत परेशान करते हैं। टाइफाइड तेज बुखार से जुड़ा रोग है जो सेलमोनेला टाइफाई बैक्टीरिया द्वारा फैलता है। यह बैक्टीरिया खाने या पानी से मनुष्य द्वारा एक जगह से दूसरी जगह अन्य लोगों तक पहुँचाता है।

नहाने से मनुष्य का शरीर दृढ़ और मजबूत हो जाता है। उसे ताजगी की अनुभूति होती है। त्वचा फ्रेश एवं खूबसूरत दिखती है। टाइफाइड में कमजोरी होने पर जब आपको थकान या आलस्य महसूस हो तो भी हिम्मत करके गरम पानी से स्नान करें। यदि रोगी स्वयं उठकर स्नान न कर पाए तो उसके शरीर में स्पौंजिंग करनी चाहिए। नहाने और स्पौंजिंग के लिए हमेशा गर्म पानी का उपयोग करें। पसीना आने से बुखार कम हो जाता है।

टाइफाइड होने के कारण 
टाइफाइड बुखार साल्मोनेला टाईफी बैक्टीरिया से संक्रमित भोजन या पानी के सेवन से होता है, या इस बैक्टीरिया से ग्रस्त व्यक्ति के निकटतम सम्पर्क से टाइफाइड की संभावना किसी संक्रमित व्यक्ति के जूठे खाद्य पदार्थ के खाने-पीने से भी होता है। वहीं दूषित खाद्य पदार्थ से भी ये संक्रमण हो जाता है। पाचन तंत्र में पहुँचकर इन बैक्टीरिया की संख्या बढ़ जाती है। शरीर के अन्दर यह बैक्टीरिया एक अंग से दूसरे अंग में पहुँचते हैं।

टायफाइड के लक्षण 
टायफायड के ये लक्षण हो सकते हैंः-

–बुखार टाइफाईड का प्रमुख लक्षण है।
-जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता जाता है वैसे-वैसे ही भूख कम हो जाती है।
-टाइफाइड से ग्रसित व्यक्ति को सिर दर्द होता है।
-टाइफाइड के लक्षण के रूप में शरीर में दर्द होता है।
-ठण्ड की अनुभूति होना।
-सुस्ती एवं आलस्य का अनुभव होना।
-टाइफाइड में कमजोरी का अनुभव होना।
-टाइफाइड के लक्षण के रूप में दस्त होने लगता है।
-आमतौर पर टाइफाइड से ग्रसित व्यक्ति को 102-104 डिग्री से ऊपर बुखार रहता है।
-बड़े बच्चों में कब्ज तथा बच्चों में दस्त भी हो सकता है।

टाइफाइड बुखार का उपचार मुख्य रूप से दवाइयों के माध्यम से किया जाता है, जिसमें एंटीबायोटिक्स शामिल होते हैं। इसके अलावा, उपचार में उपयोगी हो सकते हैं:

पर्याप्त पानी की मात्रा: शरीर को पर्याप्त पानी प्रदान करना बहुत महत्वपूर्ण होता है।

विश्राम और खानपान: टाइफाइड बुखार में विश्राम और सही आहार का सेवन करना बहुत जरूरी होता है।

पोषण संतुलित आहार: टाइफाइड बुखार के दौरान पोषण संतुलित आहार लेना महत्वपूर्ण है।

स्वच्छता और हाइजीन: स्वच्छता और हाइजीन का पालन करना बुखार के उपचार में महत्वपूर्ण होता है।

अगर आपको टाइफाइड बुखार की संभावित लक्षण हैं या इसे आप या किसी अन्य व्यक्ति ने अनुभव किया है, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए और उनकी सलाह के अनुसार उपचार करना चाहिए।

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