आजकल बच्चे भी डायबिटीज से पीड़ित हो रहे हैं। डायबिटीज को साइलेंट किलर माना जाता है, यहां तक कि नवजात शिशु भी इस बीमारी की चपेट से नहीं बच पाते हैं। भारत में 10 करोड़ से ज्यादा डायबिटीज के मरीज हैं। और अब यह बीमारी धीरे-धीरे 20% तक बढ़ती जा रही है। यह किशोरों और युवा वयस्कों में आम होता जा रहा है।तो आइए एक्सपर्ट की राय लें कि बच्चों में डायबिटीज बढ़ने के क्या कारण हैं।
डायबिटीज की बीमारी आजकल लोगों के लिए जानलेवा बनती जा रही है। इस बीमारी के कारण शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं। इसलिए इसे ‘साइलेंट किलर’ भी कहा जाता है।जिसका असर आजकल हर किसी पर पड़ रहा है, चाहे बूढ़े हों या जवान। लगभग 20 वर्ष की आयु के किशोर और युवा इस बीमारी की चपेट में अधिक आते हैं। लक्षण दिखाई न देने के कारण इसका निदान देर से होता है।डायबिटीज को कंट्रोल करने के लिए आप अपनी जीवनशैली और खान-पान में बदलाव कर सकते हैं,एक्सपर्ट ने बताया है कि बच्चों में डायबिटीज के लक्षण क्या है।
तेजी से वेट का कम होना –आजकल सिर्फ बड़ों में ही नहीं बल्कि बच्चों में भी वजन बढ़ना आम बात है। लेकिन अगर नियमित रूप से खाने के बाद भी बच्चों का वजन बढ़ने की जगह वेट का तेजी से कम होना यह डायबिटीज के लक्षण हो सकता है।इस दौरान डायबिटीज लोगों का वजन उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ता है। टाइप 1 और टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों के लिए यह खतरे की घंटी है।
जरूरत से ज्यादा थकान-अगर बच्चो में आप ये महसूस कर रहे है की बच्चे जरुरत से ज्यादाथक जा रहे है तो इसका मतलब है कि आप डायबिटीज की गिरफ्त में हैं। इस स्थिति में हमारा शरीर ऊर्जा के लिए ग्लूकोज का पर्याप्त उपयोग नहीं कर पाता। जिससे थकान हो सकती है। इस लक्षण को पहचानकर जल्द ही डायबिटीज को मैनेज किया जा सकता है।अस्वास्थ्यकर खाद्य पदार्थ खाने से ऑटोइम्यून प्रतिक्रिया शुरू हो सकती है। , कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली कोशिकाएं नष्ट होने लगती हैं, जिससे रक्त शर्करा बढ़ जाती है।
आँखों की रौशनी का कम होना-बच्चों में आंखों की रोशनी कम होने को उच्च रक्त शर्करा के स्तर से जोड़कर देखा जाता है। युवाओं के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपनी दृष्टि में बदलाव के प्रति जागरूक रहें और तुरंत परीक्षण करवाएं। खासकर उन लोगों को जिन्हें पहले से ही चश्मा लगा हुआ है, अगर दृष्टि में कोई समस्या हो तो लक्षणों को नजरअंदाज किए बिना आंखों की जांच करानी चाहिए।
डायबिटीज को बढ़ने से रोकने के लिए समय रहते इसकी पहचान करना बहुत जरूरी है। बच्चों में मधुमेह के नियमित जांच से बहुत मदद मिल सकती है।
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