हार्ट अटैक का खतरा अब छोटे-छोटे बच्चों में भी देखने को मिल रहा है. हाल ही में गुजरात में एक दर्दनाक मामला सामने आया, जब स्कूल में लंच के दौरान एक स्टूडेंट को सीढ़ियों पर हार्ट अटैक आ गया और उसकी मौत हो गई. इससे पहले इसी साल अप्रैल में तेलंगाना के एक गांव में 13 साल की बच्ची की भी हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. देश में बच्चों में बढ़ती दिल की बीमारियों से हर किसी को चिंता में डाल दिया है. अभी तक बच्चों में हार्ट अटैक को लेकर माता-पिता निश्चिंत रहते थे लेकिन अब इस तरह के केस ने उन्हें भी परेशान कर दिया है. आइए एक्स्पर्ट से जानते हैं आखिर बच्चों में हार्ट अटैक का खतरा क्यों बढ़ रहा है…
क्या जन्म से ही बच्चों में हार्ट अटैक का खतरा?
हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक, कुछ बच्चों को जन्म से ही हार्ट अटैक का खतरा रहता है. मां जब प्रेगनेंट रहती है, तब बच्चे कंजेनाइटल हार्ट डिजीज की चपेट में आ जाते हैं और ताउम्र उन्हें इसी के साथ जीना पड़ता है. इस बीमारी में दिल की दीवारें, वॉल्व और वेसल्स पर प्रभाव पड़ता है. यह हार्ट अटैक का सबसे बड़ा खतरा बन जाता है.
क्या लापरवाही की वजह से हार्ट अटैक के शिकार हो रहे बच्चे?
जन्म के समय हेल्दी बच्चे भी हार्ट अटैक का शिकार हो रहे हैं. इसके पीछे माता-पिता की लापरवाही भी हो सकती है. बच्चों के सामने स्मोकिंग, खाने पीने में लापरवाही, अनहेल्दी लाइफस्टाइल, बच्चों को खेल कूद के लिए न भेजना, पढ़ाई का प्रेशर जैसे कई कारण दिल की बीमारी का खतरा बढ़ा सकते हैं. इसी कारण बच्चों में छोटी उम्र से ही ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियां देखने को मिल रही हैं, जो हार्ट अटैक का कारण बन सकती हैं.
बच्चों में हार्ट अटैक के क्या-क्या लक्षण हो सकते हैं
स्किन या होठों के पास नीले निशान का पड़ना
खाना खाने में परेशानी होना
सांस लेने में तकलीफ
थोड़ा सा चलने पर ही हांफने लगना
सही तरह से विकास न हो पाना
चक्कन आना, जोड़ों और छाती में दर्द
बच्चों में हार्ट अटैक का लक्षण दिखे तो क्या करें
बच्चों में अगर हार्ट अटैक के लक्षण नजर आए तो माता-पिता को नजरअंदाज करने से बचना चाहिए. तुरंत बच्चों को डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए और टेस्ट करवाने चाहिए. डॉक्टर की सलाह पर ही उनका खानपान और लाइफस्टाइल व्यवस्थित करें.
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