गर्मी के मौसम की शुरुआत हो गई है। इस मौसम में खांसी-सर्दी होना बहुत आम बात है। कई बार हम कई तरह के काढ़े का भी सेवन करते है लेकिन उसके बाद भी खांसी कम नहीं होती है। यहां तक कि गार्गल और दवाओं का असर भी नहीं होता है। क्यों कि हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ बातों पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। कुछ लोगों को तो गलत सलाह मिल जाती है। उनके बताये तरीकों का पालन करने पर खांसी और बढ़ जाती है। यह समस्या आप या आपके परिवार के किसी भी सदस्य को हो सकती है। इसलिए खांसी को बिगड़ने से रोकने के लिए कुछ बातों पर ध्यान देना जरूरी है।तो आइये जानते इनके बारे में विस्तार से।
लगातार हो रही खांसी को ठीक करने के लिए कुछ बातों को अवॉयड करना है बहुत जरूरी।
ठंडे खाद्य पदार्थ से दुरी बनाये :-
‘खांसी होने के बाद भी हम आइसक्रीम और कोल्ड ड्रिंक जैसे ठंडे खाद्य पदार्थों का उपयोग कर लेते हैं। एलोपैथ में इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि ठंडे खाद्य पदार्थ खांसी बढ़ा सकते हैं। आयुर्वेद मानता है कि ठंढे खाद्य पदार्थ कफ दोष को बढ़ा देते हैं। इसलिए सर्दी-खांसी के मरीज जब तक पूरी तरह से ठीक न हो जाएं, तब तक इनसे पूरी तरह परहेज करें। ठंडे पेय पदार्थ और खाद्य पदार्थ ब्रीदिंग लाइनिंग के सूखने का कारण भी बनते हैं। इससे यह संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाता है। इसमें इरीटेशन के कारण खांसी शुरू हो जाती है।’
हिस्टामाइन वाले खाद्य पदार्थ से बचे :-
‘जो व्यक्ति पहले से खांसी और सर्दी से पीड़ित है, उसे उन खाद्य पदार्थों से बचना चाहिए जो हिस्टामाइन से भरपूर होते हैं। हिस्टामाइन शरीर की कुछ कोशिकाओं में पाया जाने वाला एक प्रकार का केमिकल है, जो एलर्जी के कई लक्षणों का कारण बनता है। जैसे नाक बहना या छींक आना। जब किसी व्यक्ति को किसी विशेष पदार्थ, जैसे कि भोजन या धूल, से एलर्जी होती है, तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से मान लेती है कि आमतौर पर यह हानिरहित पदार्थ वास्तव में शरीर के लिए हानिकारक है।
तले हुए खाद्य पदार्थ के सेवन से बचे :-
तले हुए खाद्य पदार्थ प्रकृति में तैलीय होते हैं। तेल खांसी को ट्रिगर करने वाले कारक माने जाते हैं। गर्म तेल में खाद्य पदार्थों को तलने से एक्रोलिन नामक यौगिक उत्पन्न होता है। एक्रोलिन एलर्जी के रूप में कार्य करता है। इसके उपयोग से गले में खुजली होती है। यह खांसी को बढ़ा देता है। खांसी होने पर तले हुए खाद्य पदार्थों से बचने की सलाह दी जाती है।
कैफीन युक्त पेय पदार्थ के सेवन से बचे :-
‘ जिन लोगों को एसिडिटी और गैस्ट्रो इंटेस्टिनल समस्या के कारण खांसी होती है, उन्हें कैफीन से बचना चाहिए। यह खांसी से अस्थायी राहत तो प्रदान कर देता है। वास्तव में यह एसोफेजियल स्फिंक्टर को ढीला कर देता है, जिससे अधिक एसिड एसोफैगस में प्रवाहित हो जाता है। इससे खांसी अधिक होने लगती है।’
सोने की मुद्रा भी खांसी की है वजह :-
सोने की मुद्रा भी खांसी की वजह बन सकती है, खासकर यदि किसी व्यक्ति को बहुत अधिक खांसी हो रही है। जब आप पीठ के बल लेटती हैं, तो दिन भर में इकट्ठा होने वाला बहुत सारा बलगम और कफ गले में इरिटेशन पैदा कर सकता है। पारम्परिक चिकित्सा खांसी होने पर पीठ के बल लेटने से मना किया जाता है।इसकी बजाय, करवट लेकर सोने से कफ जमा रहता है। रात में खांसी की प्रॉब्लम नहीं होती है।
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