सीबीआई ने आईएल एंड एफएस ट्रांसपोर्टेशन, उसकी अनुषंगी कंपनी के खिलाफ दर्ज की प्राथमिकी

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने आईएल एंड एफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क लिमिटेड तथा उसकी स्पेन स्थित अनुषंगी कंपनी एल्सेमेक्स एसए के खिलाफ कथित तौर पर धोखाधड़ी तथा धन की हेराफेरी कर 239 करोड़ रुपये की क्रेडिट सुविधाओं का दुरुपयोग करने के लिए प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

इंडिया एक्ज़िम बैंक ने विदेशी अनुबंधों को हासिल करने और निष्पादित करने के लिए 2015 में एल्सेमेक्स को 3.5 करोड़ यूरो की क्रेडिट सीमा मंजूर दी थी। एल्सेमेक्स सिंगापुर स्थित आईटीएनएल इंटरनेशनल पीटीई लिमिटेड की पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी कंपनी है।आईएल एंड एफएस ट्रांसपोर्टेशन, पहले ही केनरा बैंक के नेतृत्व वाले कंसोर्टियम को 6,524 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसानपहुंचाने के आरोप में सीबीआई जांच का सामना कर रही है।

एक्जिम बैंक ने कमर्शियल बैंक ऑफ इथियोपिया (सीबीई) के पक्ष में गारंटी जारी की थी, जिसने इथियोपिया रोड अथॉरिटी (ईआरए) को एल्सेमेक्स-आईटीएनएल कंसोर्टियम को प्राधिकरण द्वारा भुगतान की गई अग्रिम राशि की सुरक्षा के रूप में एक और गारंटी दी थी।सीबीई ने 2018 में काउंटर-गारंटी लागू की और एक्जिम बैंक को गारंटी का सम्मान करने और भुगतान करने के लिए सूचित किया।

एक्जिम बैंक ने एल्सेमेक्स को भुगतान करने के लिए कहा, लेकिन कंपनी ने आरोप लगाया कि सीबीई द्वारा जारी गारंटी को लागू करने में उचित या निष्पक्ष प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और सीबीई तथा ईआरए की कार्रवाई मनमानी थीकंपनी ने कहा कि वह सड़क अनुबंध के संबंध में सीबीई तथा ईआरए के खिलाफ कानून का सहारा लेगी।

एल्सेमेक्स स्पेन में दिवालियेपन की कार्यवाही का सामना भी कर रही है।केंद्रीय कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने मूल समूह आईएल एंड एफएस के खिलाफ गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय के तहत समूह के कामकाज तथा उसकी अनुषंगी कंपनियों की जांच शुरू की थी। हालांकि इसमें एल्सेमेक्स को शामिल नहीं किया गया था।

शिकायत के आधार पर सीबीआई ने एल्सेमेक्स, आईएल एंड एफएस ट्रांसपोर्टेशन नेटवर्क तथा पूर्व निदेशकों रवि पार्थसारथी, मुकुंद सप्रे, रमेश चंदर बावा, रामचंद करुणाकरण, अरुण कुमार साहा और हरि शंकरन के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के अलावा आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी तथा आपराधिक कदाचार से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है।