एंज़ाइटी एक ख़तरनाक मानसिक विकार है इसलिए इससे छुटकारा पाना बहुत ही आवश्यक है। इस दुनिया में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो ये कह सके कि उसने कभी बेचैनी का अनुभव नहीं किया। दरअसल बेचैनी एक ऐसी भावना है जो ज़िंदगी में किसी ख़ास मौक़े पर देखी जाती है। बेचैनी का सीधा संबंध घटनाओं और सोचने की क्षमता से है। बेचैनी को एंज़ाइटी के नाम से भी जानते हैं। एक शोध के अनुसार, अमेरिका के लगभग चार करोड़ लोग एंज़ाइटी डिसॉर्डर या बेचैनी रूपी मानसिक विकार का सामना करते हैं।आइए जानते है के एंज़ाइटी से कैसे छुटकारा पाया जा सकता है।
एंज़ाइटी के कारण :-
कभी कभी ये देखा जाता है कि किसी पुरानी घटना के अचानक याद आने से हम उसमें खो जाते हैं ख़ास करके ऐसी घटनाएँ जो निराशाजनक हो। अतीत की उन घटनाओं को याद करके हमें घबराहट का अनुभव हो सकता है।
किसी भी कार्य के अधूरे रह जाने पर यदि पूछताछ का डर हो तो एंज़ाइटी हो सकती है।
तनाव और अवसाद के चरम पर भी एंज़ाइटी होती है। इसका सामान्य अर्थ यह है कि यदि तनाव और अवसाद हद से ज़्यादा बढ़ जाते हैं तो व्यक्ति को अपने आप ही बेचैनी अनुभव होने लगती है।
ह्रदय को झकझोर देने वाली घटनाओं को देख या सुन कर भी व्यक्ति को बेचैनी महसूस हो सकती है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई व्यक्ति आप से रोड एक्सीडेंट के बारे में बात करता है या आप किसी का रोड एक्सीडेंट देखते हैं तो ऐसे में आपको घबराहट और एंज़ाइटी हो सकती है।
एंज़ाइटी होने पर क्या महसूस होता है?
एंज़ाइटी होने पर शरीर बेहद अलग तरह के लक्षण दिखाई देते है जैसे-
अचानक ही दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं।
ठंडे व सामान्य मौसम में भी पसीना आने लगता है।
साँसों की गति भी बढ़ सकती है।
अचानक से बीपी बढ़ना या बीपी घटना दोनों ही देखने को मिल सकता है।
एंज़ाइटी डिसॉर्डर से छुटकारा पाने के उपाय :-
एंज़ाइटी डिसॉर्डर से छुटकारा पाने के कुछ महत्वपूर्ण तरीक़े इस प्रकार है :-
सही -गलत को समझें:-
एंज़ाइटी उन स्थितियों के कारण जन्म लेती है जो स्थितियां हमें परेशान करती हैं। सरल शब्दों में कहें तो किसी भी तनावपूर्ण स्थिति या आने वाली परेशानी को सोचकर हमें एंज़ाइटी का अनुभव हो सकता है। ऐसे में ये बात ज़रूरी है कि हम सच्चाई को समझें। जी हाँ किसी भी स्थिति में बेचैन होकर ख़ुद को परेशान करने से अच्छा ये रहेगा कि हम ये समझने की कोशिश करें कि वास्तव में परेशानी किस वजह से हो रही है। जब हमें परेशानी का कारण समझ में आ जाएगा तो हम उसके हल के बारे में भी सोचेंगे। इस तरह सच्चाई की खोज करना भी एंज़ाइटी को कम करने में मदद कर सकता है।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं:-
सबसे पहले तो अपने सोने और जागने के समय को व्यवस्थित करें। अपने कार्य के दौरान बीच बीच में आराम भी करते रहें।
एंज़ाइटी अनेक मानसिक विकारों जैसे तनाव और अवसाद के कारण पैदा होती है। ऐसे में हमें ये कोशिश करनी चाहिए कि हम अपने मानसिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें। एक पावर नैप या झपकी लेने से भी हमारा मन शांत हो जाता है और मस्तिष्क में सकारात्मकता का संचार होता है। इसलिए हमें समय समय पर आराम करते रहना चाहिए।
पुरानी बातो को न दोहराये :-
कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि लोग अतीत की किसी निराशाजनक या दुख भरी घटना को याद करके अचानक से बेचैनी महसूस करने लगते हैं। कई बार इस तरह की एंज़ाइटी का स्तर इतना ज़्यादा बढ़ जाता है कि व्यक्ति को संभालना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में यह ज़रूरी है कि हम अपने अतीत को भुलाने की कोशिश करें। कोई भी ऐसी घटना जो भूतकाल में घटी है वो कभी लौटकर नहीं आएगी। उस घटना से संबंधित समस्त बातों और उसके परिणामों को भुलाने की आवश्यकता को महसूस करें और अपने अतीत को भुला दें। आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए आज में जिएँ और ख़ुश रहें।
ख़ुद को अच्छे कामो में बिजी करें:-
कई बार ऐसा देखा गया है कि जब हम किसी भी कार्य को नहीं कर रहे होते हैं और ख़ाली बैठे होते हैं तो ऐसे में हमारा दिमाग़ किसी ना किसी बात को लेकर परेशान रहता है। हमारे दिमाग़ में अनेक विचार आने शुरू हो जाते हैं।
ज़्यादातर ये विचार नकारात्मक होते हैं जिनके कारण बेचैनी पैदा होती है। इस स्थिति से बचने के लिए ख़ुद को किसी न किसी काम में लगाकर रखें। इसका अर्थ यह है कि आप ख़ाली समय में किसी किताब को पढ़ें या कोई ऐसा कार्य करें जो आपको अच्छा लगता है। आप अपने आस पास के लोगों से बातचीत भी कर सकते हैं।