सरकार का बड़ा फैसला, मुस्लिम समुदाय को ओबीसी सूची में किया शामिल

सरकार ने मुसलमानों को लेकर बड़ा फैसला लिया है. अब मुसलमानों को आरक्षण का लाभ देने के लिए पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल कर दिया गया है. राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस मामले की जानकारी दी. श्रेणी 1 ओबीसी के रूप में माने जाने वाले 17 मुस्लिम समुदायों में नदाफ, पिंजर, दरवेश, छप्परबंद, कसाब, फुलमाली (मुस्लिम), नालबंद, कसाई, अथारी, शिक्कालिगारा, सिक्कालिगारा, सालाबंद, लदाफ, थिकानगर, बाजीगारा, जोहारी और पिंजारी शामिल हैं.

मिली रिपोर्ट के अनुसार कर्नाटक सरकार ने आरक्षण का लाभ देने के लिए मुसलमानों को पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल किया है। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने कहा कि कर्नाटक सरकार के आंकड़ों के अनुसार, कर्नाटक के मुसलमानों की सभी जातियों और समुदायों को राज्य सरकार के तहत रोजगार और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए ओबीसी की सूची में शामिल किया गया है.श्रेणी II-B के अंतर्गत कर्नाटक राज्य के सभी मुसलमानों को ओबीसी माना गया है। आयोग ने कहा कि 17 मुस्लिम समुदायों को श्रेणी-1 में ओबीसी माना गया है, जबकि 19 मुस्लिम समुदायों को श्रेणी-2ए में ओबीसी माना गया है.

आपको बता दें एनसीबीसी के अध्यक्ष हंसराज गंगाराम अहीर के अनुसार, “कर्नाटक के सभी मुसलमानों को कर्नाटक सरकार के नियंत्रण में नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण के लिए ओबीसी की राज्य सूची में शामिल किया गया है।कर्नाटक सरकार के पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को लिखित रूप से सूचित किया है कि मुस्लिम और ईसाई जैसे समुदाय न तो जाति हैं और न ही धर्म। कर्नाटक राज्य में मुस्लिम आबादी 12.92 प्रतिशत है। कर्नाटक में मुसलमानों को धार्मिक अल्पसंख्यक माना जाता है। 2011 की जनगणना के अनुसार कर्नाटक राज्य में मुस्लिम आबादी 12.32 प्रतिशत है.

वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि वह देश में धर्म के आधार पर आरक्षण लागू करना चाहती है. अंबिकापुर में एक चुनावी सभा के दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस पर जमकर हमला किया. उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस का घोषणापत्र आया तब से मैं कह रहा हूं कि कांग्रेस के घोषणापत्र पर मुस्लिम लीग की छाप है. जब संविधान बन रहा था तब काफी चर्चा और विचार के बाद बाबा साहब अंबेडकर के नेतृत्व में यह तय किया गया था कि भारत में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा. आरक्षण होगा तो मेरे दलित भाई बहनों के लिए, मेरे आदिवासी भाई बहनों के लिए होगा. लेकिन धर्म के नाम पर आरक्षण नहीं होगा. लेकिन वोट बैंक की भूखी कांग्रेस ने कभी इन महापुरुषों की बातों की परवाह नहीं की, संविधान की पवित्रता की बात नहीं की, बाबा साहब अंबेडकर के शब्दों की परवाह नहीं की.

PM मोदी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने पहले भी आंध्र प्रदेश में धर्म के आधार पर आरक्षण देने का प्रयास किया था. कांग्रेस ने इसे पूरे देश में लागू करने की योजना बनाई थी. इन लोगों ने धर्म के आधार पर 15 फीसदी आरक्षण की बात कही थी और यह भी कहा था कि एससी, एसटी, ओबीसी का कोटा है उसमें से कम करके धर्म के आधार पर कुछ लोगों को आरक्षण दिया जाए. उन्होंने कहा कि 2009 के अपने घोषणापत्र में कांग्रेस ने यही इरादा भी जताया और 2014 के कांग्रेस के घोषणापत्र में भी इन्होंने साफ-साफ कहा था कि वह इस मामले को कभी भी छोड़ेंगे नहीं. मतलब धर्म के आधार पर आरक्षण देंगे. यदि दलितों का, आदिवासियों का आरक्षण कट करना पड़े तो करेंगे.

प्रधानमंत्री ने कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने एक और पाप किया. मुस्लिम समुदाय में जितनी भी जातियां हैं, सबको उन्होंने ओबीसी कोटे में डालकर ओबीसी बना दिया. यानी जो हमारे ओबीसी समाज को लाभ मिलता था उसका बड़ा हिस्सा कट गया. वहां कांग्रेस ने सामाजिक न्याय का अपमान किया, उसकी हत्या की, यहां तक की धर्म निरपेक्षता की हत्या की. कर्नाटक का यही मॉडल कांग्रेस पूरे देश में लागू करना चाहती है. कांग्रेस संविधान बदलकर एससी, एसटी, ओबीसी का हक अपने वोट बैंक को देना चाहती है.

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