जून 2024 नेट परीक्षा के लिए फिलहाल ऑनलाइन अप्लाई लिए जा रहे है. हालांकि, इस बार परीक्षा का पैटर्न और परिणाम का तरीका दोनों ही बहुत बदल गया है. पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस में हिंदी विभागाध्यक्ष प्रो. मंगला रानी बताती हैं कि नेट एक ऐसी परिकल्पना का परिणाम है. जिसमें से वैसे विद्यार्थी छनकर निकलते हैं जो आने वाले कल में एक अच्छे शिक्षक बनेंगे.
उन्होंने आगे बताते हुए कहा कि इस बार परिणाम को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है. इसलिए जो सबसे बेहतर होंगे उन्हें प्रथम श्रेणी मिलेगी. जिसमें जेआरएफ के साथ असिस्टेंट प्रोफेसरशामिल है. इसके बाद दूसरी श्रेणी होगी. जिसमें पैसे तो नहीं मिलेंगे पर अपनी योग्यता से बच्चे असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए इंटरव्यू दे पायेंगे. वहीं, तीसरी श्रेणी में वो बच्चे आएंगे जो फिलहाल पीएचडी करने के लिए ही पात्र होंगे और अपनी पीएचडी में उक्त विषय को और गहराई से पढ़ेंगे.
भविष्य के लिए तैयार करती है नेट
आज के समय में प्रोफेसर बनना इतना आसान नहीं है. इसकी यात्रा एक कठिन राह से गुजर कर पार होती है. पर जब हम लक्ष्य तक पहुंचते हैं तो विषयवार तरीके से इतने तैयार हो जाते हैं और अपने विषय में इतने प्रकांड हो जाते हैं कि हम उस विषय में पांडित्य हासिल कर लेते हैं. लक्ष्य इतना कठिन होते हुए भी लक्ष्य तक पहुंचने की आपकी यात्रा आपके लिए फायदे का सौदा होती है. वे आगे कहती हैं कि अपने लक्ष्य यानी प्रोफेसर बनने तक की यात्रा के दौरान आप पूरे तरह से मांझ दिए जाते हैं.
पूछे जाते हैं उच्च शिक्षा से संबंधित प्रश्न
बच्चों को सामान्य ज्ञान यानी कि जीएस के पेपर की तरफ भी ध्यान देना चाहिए. क्योंकि, नेट की परीक्षा में जीएस के जो भी प्रश्न आते हैं उनका संबंध प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप में हायर एजुकेशन यानी कि उच्च शिक्षा से होता है. इसलिए अपने ऑप्शनल पेपर के हरेक तथ्य को बहुत गौर से और कायदे से पढ़ने की जरूरत पड़ती है. उन्होंने आगे बताया कि अमूमन छात्रों को विश्लेषणात्मक या वर्णनात्मक पद्वति से तैयारी करने की आदत होती है. पर नेट की ये परीक्षा तथ्यात्मक जानकारी और तैयारी पर ही केंद्रित होती है.
आते हैं पिछले वर्षों के प्रश्न.
पाठ्यक्रम के बारे में छात्र को जानकारी होती ही है. क्योंकि, नेट परीक्षा के मुख्य विषय की ही पढ़ाई छात्र अपने पोस्ट ग्रेजुशन में दो वर्ष तक करते हैं. वहीं, उन्होंने आगे बताया कि छात्र पिछले वर्ष के प्रश्न को भी जरूर देखें. क्योंकि, पिछले 2 से 5 वर्षों के प्रश्नों को गौर से देख लिया जाए तो परीक्षा में आने वाली 30 से 40 प्रतिशत प्रश्नों की तैयारी अपने आप ही हो जाती है.
यह भी पढ़ें: