किसी भी चीज की अति अच्छी नहीं होती। न ज्यादा खाना न ज्यादा पीना। जिस तरह से कहा जाता है कि संतुलित आहार स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है उसी तरह से एक सीमित मात्रा में शराब उसमें भी रेड वाइन पीना लाभदायक होता है। हफ्ते-दो हफ्ते में सीमित मात्रा में रेड वाइन पी जाए तो दिल की सेहत दुरुस्त रखने में मदद मिल सकती है। यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया और हटिंगटन मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट का हालिया अध्ययन तो कुछ यही बयां करता है।
शोधकर्ता के मुताबिक रेड वाइन लाल अंगूर से बनती है। इसके छिल्के, गूदे और बीज में भारी मात्रा में ‘पॉलीफेनॉल’ नाम के एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इन्हें कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटाने के साथ ही रक्तचाप नियंत्रित रखने में भी कारगर पाया गया है।
क्लोनर ने बताया कि व्हाइट वाइन के मुकाबले रेड वाइन तैयार करने में अंगूरों में फर्मेंटेशन (किण्वन) की प्रक्रिया को ज्यादा लंबे समय तक अंजाम दिया जाता है। इससे रेड वाइन में अधिक मात्रा में ‘पॉलीफेनॉल’ उपलब्ध हो पाते हैं, खासकर ‘रेसवराट्रॉल’ जो दिल की बीमारियों को दूर रखने में बेहद अहम भूमिका निभाता है।
हार्ट अटैक से मौत का खतरा घटेगा
-‘पॉलीफेनॉल’ दरअसल, बैड कोलेस्ट्रॉल कहलाने वाले लो-डेंसिटी लाइपोप्रोटीन (एलडीएल) में ऑक्सीडेशन की प्रक्रिया को धीमा करते हैं। इससे एलडीएल धमनियों की दीवारों पर नहीं जमता। नतीजतन खून के प्रवाह के दौरान धमनियों पर अतिरिक्त दबाव नहीं पड़ता। उनमें रक्त प्रवाह सुचारु रहने से हार्ट अटैक से मौत का खतरा बेहद कम हो जाता है। ‘पॉलीफेनॉल’ हृदय की कोशिकाओं के फलने-फूलने के लिए जरूरी ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाने में भी कारगर हैं।
एचडीएल का स्तर बढ़ाने में मदद मिलेगी
-क्लोनर ने बताया कि रेड वाइन हाई-डेंसिटी लाइपोप्रोटीन (एचडीएल) यानी ‘गुड कोलेस्ट्रॉल’ का स्तर बढ़ाने में भी मददगार मिली है। एचडीएल बैड कोलेस्ट्रॉल को धमनियों की दीवारों पर चिपकने से रोककर रक्त प्रवाह को सुचारु बनाए रखता है।
हफ्ते में दो से तीन गिलास रेड वाइन पीने पर एलडीएल के स्तर में 8 फीसदी कमी और एचडीएल की मात्रा में 17 प्रतिशत वृद्धि लाने में मदद मिल सकती है। अध्ययन के नतीजे ‘जर्नल एथेरोस्क्लेरोसिस’ के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं।