मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र के जालना जिले में अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे सामाजिक कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने स्वास्थ्य जांच करवाने से इनकार कर दिया है।जालना के कार्यवाहक सिविल सर्जन डॉ. प्रताप घोडके ने सोमवार को कहा कि लंबे समय तक भोजन न करने से उनके आवश्यक अंगों और स्वास्थ्य पर प्रभाव पड़ सकता है।
मराठा समुदाय के सदस्य अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत सरकारी नौकरियों एवं शिक्षा में आरक्षण की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।प्रदर्शन ने तब जोर पकड़ लिया जब सामाजिक कार्यकर्ता जरांगे प्रदर्शन के दूसरे चरण के तहत जालना में अंतरवाली सराटी गांव में 25 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठ गए। उनकी अपील पर कई ग्रामीणों ने गांव में राजनीतिक दलों के नेताओं का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया है।
डॉ. घोडके ने कहा, ”जिलाधिकारी और चिकित्सक हर दो-तीन घंटे के बाद जरांगे से संपर्क कर रहे हैं। लेकिन हर बार उन्होंने स्वास्थ्य जांच और उपचार से इनकार कर दिया। इससे उनके जरूरी अंगों जैसे कि गुर्दे और मस्तिष्क पर असर पर सकता है। उनके शरीर में शर्करा का स्तर निम्न हो सकता है और शरीर में पानी की कमी हो सकती है।”
उन्होंने कहा, ”हमने अंतरवाली सराटी में उनके पारिवारिक चिकित्सक के साथ तथा अन्य चिकित्सकों से संपर्क किया है। आज ग्रामीण जरांगे से चिकित्सा उपचार लेने और अपनी भूख हड़ताल जारी रखने का अनुरोध करने वाले हैं।”जरांगे ने घोषणा की है कि अगर राज्य सरकार मराठा समुदाय की लंबित मांग पर कार्रवाई करने में नाकाम रही तो समूचे महाराष्ट्र में आमरण अनशन के साथ प्रदर्शन शुरू किया जाएगा।महाराष्ट्र सरकार ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि वह मराठा समुदाय को आरक्षण देने के लिए प्रतिबद्ध है और इससे जुड़े कुछ कानूनी मुद्दे हैं।