प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ मार्च को मनाये जा रहे अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस का उल्लेख करते हुए रविवार को कहा कि ये विशेष दिन देश की विकास यात्रा में नारी शक्ति के योगदान काे नमन करने का अवसर होता है।
प्रधानमंत्री ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 110वें संस्करण में कहा, “कुछ ही दिन बाद आठ मार्च को हम ‘महिला दिवस’ मनाएंगे। ये विशेष दिन देश की विकास यात्रा में नारी-शक्ति के योगदान को नमन करने का अवसर होता है। महाकवि भरतियार जी ने कहा है कि विश्व तभी समृद्ध होगा, जब महिलाओं को समान अवसर मिलेंगे।”
उन्होंने कहा कि आज भारत की नारी-शक्ति हर क्षेत्र में प्रगति की नई ऊँचाइयों को छू रही है। कुछ वर्ष पहले तक किसने सोचा था कि हमारे देश में, गाँव में रहने वाली महिलाएं भी ड्रोन उड़ाएंगी, लेकिन आज ये संभव हो रहा है। आज तो गाँव-गाँव में ड्रोन दीदी की इतनी चर्चा हो रही है, हर किसी की जुबान पर नमो ड्रोन दीदी, नमो ड्रोन दीदी ये चल पड़ा है। हर कोई इनके विषय में चर्चा कर रहा है।
उन्होंने कहा, “एक बहुत बड़ी जिज्ञासा पैदा हुई है और इसीलिए, मैंने भी सोचा कि क्यों ना इस बार ‘मन की बात’ में, एक नमो ड्रोन दीदी से बात की जाए।” इस दौरान उन्होंने उत्तर प्रदेश के सीतापुर की रहने वाली नमो ड्रोन दीदी सुनीता देवी से भी चर्चा की जिन्होंने बताया कि वह स्नातक हैं और खेती बाड़ी से जुड़ी हुई हैं।
सुनीता देवी ने कहा कि प्रशिक्षण के बाद वह अब ड्रोन का खेती के लिए उपयोग कर रही हैं। उन्होंने कहा, “फसल बड़ी होने पर या बरसात के मौसम या कुछ अन्य परिस्थितियों में दिक्कत होती है, खेत में फसल में हम लोग घुस नहीं पा रहे हैं तो कैसे मजदूर अन्दर जाएगा, तो इसके माध्यम से बहुत फायदा किसानों को होगा और वहाँ खेत में घुसना भी नहीं पड़ेगा। हमारा ड्रोन जो हम मजदूर लगाकर अपना काम करते हैं
वो हमारा ड्रोन से मेढ़ पे खड़े होके, हम अपना काम कर सकता है, कोई कीड़ा-मकोड़ा अगर खेत के अन्दर है उससे हमें सावधानी भी बरतनी रहेगी। अब कोई दिक्कत नहीं हो सकती है और किसानों को भी बहुत अच्छा लग रहा है। हम 35 एकड़ में स्प्रे कर चुके हैं अभी तक।”सुनीता देवी ने कहा कि किसान इससे बहुत संतुष्ट होते हैं। समय का भी बचत होता है, सारी सुविधा वह खुद देखती हैं,
पानी, दवा सब कुछ साथ-साथ में रखती है और किसानों को सिर्फ आकर बताना पड़ता है कि कहां से कहां तक उनका खेत है और सारा काम आधे घंटे में ही निपटा देती हूँ। किसान नंबर लेकर जाते हैं और स्प्रे कराने की बात भी करते हैं।सुनीता देवी ने कहा, “आज मैं अकेले ड्रोन दीदी हूँ तो ऐसी ही हजारों बहनें आगे आएं कि मेरे जैसे ड्रोन दीदी वो भी बने और मुझे बहुत खुशी होगी कि जब मैं अकेली हूँ, मेरे साथ में और हजारों लोग खड़े होंगे, तो बहुत अच्छा लगेगा कि हम अकेले नहीं बहुत सारे लोग हमारे साथ में ड्रोन दीदी के नाम से पहचानी जाती हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश में कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जिसमें देश की नारी-शक्ति पीछे रह गई हो। एक और क्षेत्र, जहाँ महिलाओं ने अपनी नेतृत्व क्षमता का बेहतरीन प्रदर्शन किया है वो है प्राकृतिक खेती, जल संरक्षण और स्वच्छता। रसायन से धरती को बचाने में देश की मातृशक्ति बड़ी भूमिका निभा रही है। देश के कोने-कोने में महिलाएं अब प्राकृतिक खेती को विस्तार दे रही हैं। आज अगर देश में ‘जल जीवन मिशन’ के तहत इतना काम हो रहा है तो इसके पीछे पानी समितियों की बहुत बड़ी भूमिका है। इस पानी समिति का नेतृत्व महिलाओं के ही पास है। इसके अलावा भी बहनें-बेटियाँ, जल संरक्षण के लिए चौतरफा प्रयास कर रही हैं।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र की महिला कल्याणी प्रफुल्ल पाटिल से भी बात की जो माइक्रो बॉयोलॉजी में परास्नातक है। श्रीमती पाटिल ने बताया कि उन्होंने दस प्रकार के वनस्पति को एकत्रित करके उससे ऑर्गेनिक फवारणी(स्प्रे) बनाया और उसका उपयोग कीटनाशकों के रूप में किया जा रहा है क्योंकि रसायनिक कीटनाशकों के दुष्परिणाम होते हैं और उससे सभी लोग प्रभावित हो रहे हैं।
जलसंरक्षण के क्षेत्र में अपने अनुभव का साझा करते हुये श्रीमती पाटिल ने कहा कि शासकीय इमारतों में बारिश के पानी को इकट्ठा करके एक जगह पर संग्रहित किया जाता है और जो रिचार्ज शाफ्ट में ले जाया जाता है। अभी उनके गांव में 20 इस तरह के शाफ्ट हैं और 50 शाफ्ट को मंजूरी मिल चुकी है।प्रधानमंत्री ने कहा कि अलग-अलग क्षेत्रों में नारी-शक्ति की सफलता बहुत प्रेरक है। उन्होंने कहा, “मैं एक बार फिर हमारी नारी-शक्ति के इस जज्बे का हृदय से सराहना करता हूँ।”