पश्चिम बंगाल के संदेशखाली मामले में तीन महिलाओं में से एक ने यू-टर्न ले लिया. महिला ने टीएमसी नेता के खिलाफ रेप का मामला वापस ले लिया गया है. इस मामले ने बंगाल की राजनीति में उबाल ला दिया था. महिला ने कहा कि मेरा यौन उत्पीड़न नहीं किया गया. महिला ने कहा कि बीजेपी के लोगों ने मुझसे सादे कागज पर हस्ताक्षर कराए और पुलिस से शिकायत की.
पश्चिम बंगाल के संदेशखाली की घटना पूरी तरह से राजनीति से भरी हुई थी. संदेशखाली मामला अब चुनाव की दशा और दिशा बदलने के लिए लगभग तैयार है. एक बार फिर मामला गरमा गया है. इस बार तृणमूल की ओर से आरोप लगाया जा रहा है कि बीजेपी ने राजनीतिक फायदे के लिए महिलाओं से शिकायत करने को कहा था.उधर, संदेशखाली की तीन महिलाओं में से एक ने यू-टर्न ले लिया है। महिला ने दावा किया कि उसके साथ मारपीट नहीं की गई और स्थानीय भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने उससे कोरे कागजों पर हस्ताक्षर करने और पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के लिए दबाव डाला था।
इतना ही नहीं शिकायत वापस लेने वाली महिला ने संदेशखाली थाने में मामला भी दर्ज कराया है. इस एफआईआर में उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं और उन्हें सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि वह अपनी शिकायत वापस ले रही हैं. महिला का आरोप है कि बीजेपी महिला मोर्चा की एक स्थानीय नेता और कुछ अन्य सदस्य उसके घर आए थे.इन लोगों ने उससे एक जगह साइन कराए थे और उसके बाद ही फर्जी शिकायत थाने में दी ग अगला महिला ने अखबार से बातचीत में कहा, ‘उन लोगों ने मेरे साइन लिए और कहा कि आपको पीएम आवास योजना का लाभ मिलेगा। इसके बाद वह मुझे पुलिस थाने ले गए और यौन उत्पीड़न का केस दर्ज कराया।
महिला ने शिकायत को गलत बताते हुए केस वापस ले लिया। उसने कहा, ‘मेरे साथ टीएमसी के दफ्तर में कोई यौन उत्पीड़न नहीं हुआ था। मुझे पार्टी के दफ्तर में देर रात जाने के लिए भी बाध्य नहीं किया गया।’ वहीं इस मामले ने अब टीएमसी को भाजपा पर हमले का मौका दे दिया है। राज्य की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री शशि पंजा ने कहा कि जो महिलाएं शिकायत वापस ले रही हैं, उन्हें अंजाम भुगतने की धमकी भाजपा वाले दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले को भाजपा ने ही बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया था और अब शिकायत वापस लेने पर महिलाओं को धमकी दी जा रही है।
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