कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक घटनाक्रम को लेकर बुधवार को कहा कि पार्टी सर्वोपरि है और वह जनादेश बरकरार रखने के लिए कठोर निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेगी।
हिमाचल प्रदेश में राज्यसभा की एक सीट पर हुए मतदान में कांग्रेस के छह विधायकों द्वारा ‘क्रॉस वोटिंग’ किये जाने के बाद भाजपा ने सीट पर जीत हासिल की थी और उसके बाद से राज्य में राजनीतिक संकट पैदा हो गया है।पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पर्यवेक्षकों से बात की है और उनसे कहा है कि वे विधायकों से बात करके जल्द रिपोर्ट सौंपें। उनका कहना है कि पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट के बाद ही कोई कदम उठाया जाएगा।
रमेश के अनुसार,”छतीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा और कर्नाटक के उप मुख्यमंत्री डीके शिवकुमार बतौर पर्यवेक्षक शिमला में में मौजूद हैं। कांग्रेस के हिमाचल प्रदेश प्रभारी राजीव शुक्ला भी हिमाचल प्रदेश में मौजूद हैं।” उन्होंने कहा, ‘हम सरकार अस्थिर नहीं होने देंगे…. जरूरत पड़ी तो कठोर निर्णय लेने से पीछे नहीं हटेंगे।’
कांग्रेस महासचिव ने कहा, ‘कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पर्यवेक्षकों से सभी विधायकों से बात कर जल्द रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा है।’ उन्होंने कहा, ‘हमें जनादेश जनता ने दिया है और यह जनादेश जनता ही वापस ले सकती है। ऑपरेशन लोटस से जनादेश वापस नहीं लिया जा सकता।’रमेश ने कहा कि अफसोस की बात है कि क्रॉस-वोटिंग हुई और राज्यसभा चुनाव में पार्टी के उम्मीदवार अभिषेक सिंघवी हार गए। राज्य विधानसभा की 68 सीटों में से कांग्रेस के पास 40 और भाजपा के पास 25 सीटें हैं। बाकी तीन सीट पर निर्दलीयों का कब्जा है।