गर्भावस्था का समय महिलाओं के लिए बहुत संवेदनशील माना जाता है। इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के हार्मोनल बदलाव होते हैं। इन्हीं में से एक है थायराइड हार्मोन का बढ़ना। गर्भावस्था के दौरान कई महिलाओं का थायराइड हार्मोन बढ़ जाता है। थायराइड हार्मोन के बढ़ने से कई तरह की समस्याएं होने लगती हैं। इसलिए इस स्थिति में थाराइड से बचने के लिए सही जानकारी होना बहुत ही जरूरी है। ताकि आप प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड हार्मोंन से खुद का बचाव कर सकें। आज हम आपको इस लेख के जरिए गर्भावस्था में थाइराइड हार्मोंन बढ़ने के कारण बताने जा रहे हैं। साथ ही इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी आपके साथ शेयर करेंगे, ताकि आप खुद थायराइड की समस्या से खुद को बचा सकें। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से-
थायराइड क्या है?
थायराइड हमारे गले में मौजूद एक ग्रंथि है। जिसका आकार तितली के समान होता है। यह ग्रंथि हमारे शरीर में थायराइड हार्मोन बनाता है। थायराइड हार्मोंन से शरीर की कई क्रियाएं नियंत्रित होती हैं। इसमें दिल की धड़कने, मेटाबॉलिज्म जैसी क्रियाएं शामिल हैं। शरीर में थायराइड की समस्या तब होती है, जब थायराइड ग्रंथि जरूरत से अधिक या कम थायराइड हार्मोन का निर्माण करने लगता है। शरीर में थायराइड हार्मोन का अधिक होना हाइपरथायरायडिज्म और जरूरत से थायराइड हार्मोन का कम होना हाइपोथायरायडिज्म कहलाता है। यह समस्या प्रेग्नेंसी के दौरान कई महिलाओं में देखी जाती है। अगर इस समय इसका सही से इलाज न किया गया, तो यह लंबे समय तक महिलाओं को परेशान कर सकता है।
कब होती है प्रेगनेंसी में थायराइड की समस्या?
एनसीबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, गर्भावस्था के दौरान करीब 50 फीसदी तक थायराइड हार्मोन बढ़ सकता है। वहीं, गर्भावस्था के तिमाही महीने में इसका खतरा सबसे अधिक होता है। आपको बता दें कि लोगों में डायबिटीज के बाद थायराइड सबसे ज्यादा होने वाली बीमारी है। इसलिए इस बीमारी के प्रति सचेत रहें और समय-समय पर अपना थायराइड प्रोफाइड चेक कराएं और डॉक्टर से विशेष सलाह लें।
गर्भावस्था में क्यों होता है थायराइड
थायराइड के प्रकार के आधार पर प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड होने का अलग-अलग कारण होता है। आइए जानते हैं इसके बारे में-
गर्भवास्था के दौरान हाइपरथायराइडिज्म के कारण –
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान अधिक उल्टी और मतली की शिकायत होती है, जिसकी वजह से एचसीजी हार्मोन का स्तर बढ़ने लगता है। इस वजह से थाराइड हार्मोन का निर्माण भी शरीर में काफी ज्यादा होने लगता है।
ऑटोइम्यून डिसऑर्डर की वजह से कुछ महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान हाइपर-थायराइड की समस्या हो सकती है। ग्रेव्स डिजीज एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसमें व्यक्ति का इम्यून सिस्टम थायाइड ग्रंथि पर अटैक करता है। इसकी वजह से शरीर में अधिक मात्रा में थायराइड हार्मोन का स्त्राव होने लगता है।गर्भावस्था के दौरान महिलाएं अपने डाइट में कई तरह के बदलाव करती हैं। अगर आप प्रेग्नेंसी के दौरान अपने डाइट में अधिक आयोडीन ले रही हैं, तो भी यह आपके लिए नुकसानदेय हो सकता है। इससे आपको हाइपर थायराइड होने की संभवाना बढ़ जाती है। अंडाशय में ट्यूमर के कारण भी आपको यह परेशानी हो सकती है।
गर्भावस्था में हाइपोथायरायडिज्म होने के कारण
- थायराइड ग्रंथि से जुड़ी कोई सर्जरी, जिसमें महिला का थायराइड ग्लैंड या फिर कोई अन्य अंग निकाल दिया जाता है, तो इस स्थिति में भी हाइपोथायराइड होने की संभावना बढ़ जाती है।
- हाशिमोटो डिजीजी एक ऑटोइम्यून डिसऑर्डर है, जिसकी वजह से व्यक्ति का इम्यून सिस्टम उनके थाइराइड ग्रैंड पर अटैक करता है। इसके कारण गले में सूजन आ जाती है और हार्मोन का उत्पादन रूक जाता है।
- अधिक दवाईयों का सेवन करने वाली महिलाओं को भी यह समस्या हो सकती है। इसके अलावा शरीर में आयोडीन की कमी के कारण भी यह परेशानी होती है।
- थायराइड ग्रैंड के आसपास एडिएशन थेरेपी लेने से भी कुछ लोगों के शरीर में थाइडराइड हार्मोन बनना बंद हो जाता है।
प्रेगनेंसी में थायराइड होने पर दिखनेे वाले लक्षण
थायराइड के प्रकार के आधार पर इसके लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। चलिए जानते हैं प्रेग्नेंसी के दौरान थायराइड होने पर दिखने वाले लक्षणों के बारे में-
हाइपरथायरायडिज्म के लक्षण
सामान्य लक्षण
- शरीर का वजन तेजी से घटना
- हाथों का कांपना
- काफी ज्यादा गर्मी लगना
- दिल की धड़कने तेज होना।
- काफी थकान महसूस होना
- बालों का झड़ना
कभी-कभी दिखने वाले लक्षण
- चिंता की स्थिति
- एकाग्रता में कमी
- नींद में कमी
- पसीना आना
- घबराहट होना
- भूख बढ़ना
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण
- ठंड और गर्म दोनों ही बर्दाश्त न होना
- अत्यधिक थकान महसूस होना
- मांसपेशियों में ऐंठन
- याददाश्त और एकाग्रता में कमी
- स्किन ड्राई रहना
- चेहरा सूजा हुआ रहना
- कब्ज की गंभीर समस्या
- सूजी हुई आंखें
- शरीर का वजन बढ़ना
- हार्ट रेट का कम होना
प्रेगनेंसी में थायराइड से बचाव
- प्रेग्नेंसी के दौरान हल्के-फुल्के एक्सरसाइज करना न भूलें।
- संतुलित आहार का सेवन करें।
- खुली हवा में सुबह-शाम वॉक करें।
- समय-समय पर डॉक्टर से अपना चेकअप कराएं।
- अगर आपके परिवार में किसी को थायराइड है, तो डॉक्टर को जरूर बताएं।
- डायटीशियन और डॉक्टर के अनुसार अपना डाइट चार्ट बनाएं।
- प्रेग्नेंसी के दौरान किसी तरह की समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
गर्भावस्था में थायराइड आहार
आयोडीन का इस्तेमाल करके थायराइड ग्लैंड शरीर में थायराइड हार्मोन का निर्माण करती है। ऐसे में हमारे शरीर को आयोडीन की सबसे ज्यादा जरूरत है। गर्भवती महिला के जरिए ही भ्रूण को आयोडीन मिलाता है। ऐसे में गर्भवती महिला को आयोडीन का सेवन करना जरूरी होता है। चलिए जानते हैंथायराइड होने पर कैसा होना चाहिए डाइट-
अगर आप गर्भावस्था के दौरान हाइपोथायरायडिज्म से ग्रसित हो गई हैं, तो आपको इस दौरान सी-फूड्स, डेयरी खाद्य पदार्थ, अंडा, मांस, मुर्गी और आयोडीन युक्त नमक का सेवन करना चाहिए। वहीं, अगर प्रेग्नेंसी के दौरान आपको हाइपरथायरायडिज्म की समस्या हो गई है। तो इस स्थिति में आयोडीन रहित या फिर आयोडीन की मात्रा बहुत कम वाले आहार का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा बिना दूध की कॉफी, अंडे का सफेद भाग,
बिना नमक वाले नट्स, ओट्स और ताजे फलों का सेवन करें।
प्रेग्नेंसी में महिलाओं को थायराइड की समस्या हो सकती है। लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि हर किसी को यह समस्या हो सकती है। हेल्दी डाइट और हेल्दी लाइफस्टाइल का चुनाव करके और प्रेग्नेंसी में थायराइड की समस्या से बच सकते हैं।
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